How To Improve Body Posture: चलने-फिरने और उठने-बैठने का ढ़ंग आपके बारे में काफी कुछ बता देता है इसलिए बचपन से ही हमारे बॉडी पॉश्चर पर पेरेंट्स बहुत ध्यान देते हैं क्योंकि इसका असर प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ पर बहुत पड़ता है. ऐसे में आज हम आपको यहां पर बॉडी पॉश्चर से जुड़ी कुछ जरूरी बात बताने वाले हैं जिससे पता चलता है कि आप लो कॉन्फिडेंट हैं. तो चलिए बिना देर किए जानते हैं उसके बारे में.

ये हैंलो कॉन्फिडेंस बॉडी पॉश्चर (How To Improve Body Posture)

  • जिन लोगों का आत्मविश्वास कमजोर होता है वो लोग बात करते समय या फिर बैठते समय अपनी बॉडी को बांध लेते हैं. जैसे अपनी बांहों और पैरों को क्रॉस करना, झुकना किसी तरह अपने शरीर को छोटा कर लेते हैं, जो आपके लो कॉन्फिडेंस को दर्शाता है.
  • जब हम लो कॉन्फिडेंट होते हैं तो हम अपने हाथ पैर को बहुत ज्यादा हिलाने डुलाने लगते हैं. प्रजेंटेशन देते समय अंगूठी को घुमाना और चश्मा ठीक करने जैसे काम करने लगते हैं.यह भी आपके कमजोर आत्मविश्वास को दर्शाता है.
  • आंखें चुराना भी आपके लो कॉन्फिडेंस को दर्शाता है. जब हम आंखों के कनेक्शन से बचते हैं तो ये भी आपके कमजोर आत्मविश्वास को दर्शाता है. यह असहज और असुरक्षित महससू कराता है. जिन लोगों को आत्मविश्वास कमजोर होता है वो बहुत-बहुत जल्दी बोलते हैं
  • जब हम घबराए हुए रहते हैं तो हम हाथ को छिपाते हैं, मुंह ढ़कते हैं, यह भी पॉश्चर आपके कमजोर आत्मविश्वास को दर्शाता है. बात करते समय अटकते हैं,यह भी आपके लो कॉन्फिडेंस को दिखाता है. इसके अलावा बात करते समय सिर का झुक जाना भी आपके कमजोर आत्मविश्वास को दर्शाता है.

ऐसे बूस्ट करें अपना कॉन्फिडेंस (How To Improve Body Posture)

कंफर्ट जोन से बाहर निकलें

उन लोगों में आत्मविश्वास की कमी ज्यादा देखी जाती है जो कंफर्ट जोन में रहते हैं. नई-नई चुनौतियों का सामना करने से बचना करियर के लिहाज से ठीक नहीं होता. जो भी काम मिले उसे बेझिझक करने का मन बनाए. अगर आपको लगता है कि आप जहां काम कर रहे हैं वहां कंफर्ट जोन क्रिएट हो गई है तो इससे बाहर निकलने की कोशिश करें.

असफल होने से न डरें

असफल होने का डर जीवन में आगे बढ़ने नहीं देता है और इसका बुरा असर पर्सनैलिटी पर भी पड़ता है. जीवन में ऐसी स्थितियां आएं कि आपको असफलता महसूस हो. इस डर को निकालकर आगे बढ़ने की कोशिश करे.

लोगों से बात करें

कहते हैं लोगों के बीच में बैठने और बातें करने से व्यवहार में तो बदलाव आता ही है साथ ही सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है.बात करने से आप नई-नई चीजों को जान पाते हैं और चीजों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं. इसलिए ऐसे लोगों की संगत में बैठें जो जीवन को सही ढंग से समझने और आगे बढ़ने की सलाह दे पाए.

काम में ध्यान

अगर काम में फोकस न हो तो इससे भी कॉन्फिडेंस डाउन हो सकता ह. काम में ध्यान नहीं दे पाते हैं तो रोजाना मेडिटेशन करें या फिर योग के रूटीन को फॉलो करें.काम में ध्यान लगाने से तरक्की मिलती है और सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बिल्ड होता है.