नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विक्रेता के टैक्स जमा नहीं कराने पर खरीदार का इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं रोके जाने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी है. हाई कोर्ट ने सरकार को क्रेडिट रोकने का अधिकार देने वाले दिल्ली वैट एक्ट के सेक्शन 9(2) (g) को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया था.

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है. हालांकि, उसने राजस्व अधिकारियों को यह छूट दी कि वे विशेष मामलों को लेकर हाई कोर्ट में दोबारा जा सकते हैं. मामले से जुड़े अधिवक्ता ने बताया कि मामला वैट रिजीम से जुड़ा है, लेकिन इसका प्रभाव जीएसटी एक्ट के उन प्रावधानों पर भी पड़ सकता है, जो सप्लायर्स के डिफॉल्ट पर बायर्स के ऊपर ऐसी ही बंदिशें थोपते हैं.

उन्होंने बताया कि अगर परचेजसर ने टैक्स जमा करा दिया और उसका सेलर से कोई टकराव नहीं है तो सप्लायर के टैक्स नहीं चुकाने या कानूनी तौर पर एडजस्ट नहीं करने की सूरत में बायर की कोई जवाबदेही नहीं बनती.

गौरतलब है कि डिवैट एक्ट का सेक्शन 9(2)(g) साल 2010 में लाया गया था. इसी दौर में दिल्ली में सेल-परचेज की मैचिंग लाग हुई थी. उसके बाद से ऐसे मामलों की भरमार होने लगी और अधिकांश बायर्स के क्रेडिट लटकने लगे. जानकारों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का विभाग की स्पेशल लीव पिटीशन खारिज करना कारोबारियों के लिए बड़ी राहत है. हजारों लोगों के इस तरह के मामले विभागों में लंबित हैं. फैसले से उन्हें तो राहत मिली ही है, यह आगे की राह भी दिखाता है.