कानपुर. डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया से पीड़ित बच्चों के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर की टीम ने एक ऐसा ऐप बनाया है जो उनकी मदद करेगा. यह सहायक अनुप्रयोग (एएसीडीडी) का अविष्कार प्रो. ब्रज भूषण, शतरूपा ठाकुरता रॉय और डॉ. आलोक बाजपेयी ने मिलकर किया है. ये ऐप एक डिवाइस के साथ लगा आता है, जो बच्चों को आसानी से सीखने में मदद करता है.
डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया एक ऐसी समस्या है जो धीमी और गलत शब्द पहचान की विशेषता रखता है. डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चे जहां सटीक और धाराप्रवाह शब्द की पहचान और वर्तनी में कठिनाइयों का सामना करते हैं. वहीं डिस्ग्राफिया लिखने में दिक्कत पैदा करता है. हालांकि कोई भी दो डिस्लेक्सिक छात्र समान लक्षणों को प्रस्तुत नहीं करते हैं और इसलिए इन चुनौतियों को दूर करने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा कई प्रयास किए जाते हैं. भारतीय बाल रोग के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय प्राथमिक विद्यालय के बच्चों में डिस्लेक्सिया की घटना 2 प्रतिशत -18फीसद, डिस्ग्राफिया 14 प्रतिशत और डिस्केल्कुलिया 5.5 फीसद बताई गई है. ऐसा माना जाता है कि भारत में सीखने की अक्षमता वाले लगभग 90 मिलियन लोग हैं और स्कूल में औसत कक्षा में सीखने की अक्षमता वाले लगभग पांच छात्र हैं.
आईआईटी कानपुर के निदेशक, प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया दो सामान्य स्थितियां हैं जो बच्चे में उचित समर्थन तंत्र न होने से उनके विकास में बाधा बनती हैं. इसलिए, विशेषज्ञों की हमारी टीम के इस नए आविष्कार में इन स्थितियों से पीड़ित बच्चों के लिए वरदान बनने की क्षमता है. साथ ही, हिंदी भाषा को शामिल करने से मुख्य रूप से हिंदी भाषी उपयोगकर्ताओं को सीखने में आसानी होगी. विशेषज्ञों की टीम ने ऐसे विशेष बच्चों को देखते हुए नए सहायक अनुप्रयोग को विकसित किया. यह कक्षा 1 से 5 के बीच स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए हिंदी भाषा में वर्तमान में उपलब्ध एक प्रशिक्षण मॉड्यूल है. एप्लिकेशन एक टचस्क्रीन-आधारित इंटरफेस है जिसमें सुनने के बाद प्रतिक्रिया शामिल है. इसमें अन्य भाषाओं को भी शामिल करने की उम्मीद है. एप्लिकेशन बच्चों को ट्रेसिंग कार्य में सहायता करता है.
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यह ऐप पहले स्तर का गठन करता है. दूसरे स्तर में, उन्हें पहेली के रूप में हिंदी अक्षरों के ज्यामितीय पैटर्न सिखाए जाते हैं, और श्रवण प्रतिक्रिया के माध्यम से पढ़ने की पेशकश की जाती है. तीसरा स्तर शब्दों को लिखने और समझने के लिए ²श्य, श्रवण और हैप्टिक इनपुट को एकीकृत करता है. इस स्तर में कठिनाई के बढ़ते स्तर के साथ 120 हिंदी शब्द हैं. चूंकि वर्तमान में उपलब्ध अन्य प्रौद्योगिकियां टेक्स्ट-टू-स्पीच के माध्यम से पढ़ने की समस्या को दूर करने के लिए ऑडियो इनपुट का उपयोग करती हैं, आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया से ग्रसित बच्चों के लिए सहायक एप्लिकेशन (एएसीडीडी) ऑडियो, विजुअल और हैप्टिक इनपुट और शब्दों के बुनियादी ज्यामितीय पैटर्न – जैसे रेखाएं, सर्कल इत्यादि के हेरफेर के माध्यम से मस्तिष्क नेटवर्क को फिर से प्रशिक्षित करने के मामले में अद्वितीय है.
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