मनोज उपाध्याय, मुरैना। मुख्यमंत्री की सख्त हिदायत के बाद भी मध्यप्रदेश में रेत माफिया बेलगाम हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि जो तस्वीरें हमारे पास आई हैं, उसे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. तस्वीरें मुरैना जिले से आई हैं. जहां रेत माफिया चंबल नदी का सीना छलनी कर रहे हैं. राजघाट के नए पुल के नीचे से रेत का अवैध खनन किया जा रहा है. हैरानी की बात यह है कि अवैध खनन दिन में किया जा रहा है. हजारों ट्रॉलियां रेत हर दिन निकाली जा रही है. यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहता है, लेकिन खनिज विभाग और प्रशासन को अवैध खनन नहीं दिख रहा है.
वन विभाग और जिला प्रशासन मौन
बता दें कि चंबल नदी से अवैध खनन को रोकने के लिए जिले के वन विभाग को 200 से अधिक एसएएफ जवानों की कंपनी मिली है, लेकिन विभाग ने इन जवानों को इधर-उधर ड्यूटी पर लगा रखा है, जबकि इन जवानों का काम राजघाट पर हो रहे अवैध खनन को रोकना है. इससे यह कहा जा सकता है कि वन विभाग की मिलभगत से अवैध रेत का खनन और परिवहन को अंजाम दिया जा रहा है.
अल्लाबेली पुलिस भी नहीं कर रही कार्रवाई
लोगों का कहना है कि अवैध रेत परिवहन के खेल में पुलिस भी शामिल है. पुलिस प्रशासन इन रेत माफिया पर कार्रवाई नहीं कर रहा है, जबकि राजघाट से चंद कदम दूर अल्लाबेली पुलिस चौकी है. पुलिस के सामने से धड़ल्ले से रेत का अवैध परिवहन किया जा रहा है.
राजस्थान होती है रेत की सप्लाई
चंबल के राजघाट पुल से खनन होने वाली लगभग 60 प्रतिशत रेत की सप्लाई राजस्थान के धौलपुर में होती है. 40 प्रतिशत रेत मुरैना और ग्वालियर में बेची जाती है. अवैध खनन से सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लग रहा है. लोगों का मानना है कि बगैर अधिकारियों की मिलीभगत के अवैध खनन और परिवहन संभव नहीं है.
रटा-रटाया जवाब देते हैं अधिकारी
वहीं अधिकारी रटा-रटाया जवाब देते हैं. इस मामले में अपर कलेक्टर नरोत्तम भार्गव का कहना है कि समय-समय पर अवैध रेत का खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. एसएएफ के 200 जवानों की कंपनी इस काम को रोकने के लिए मिली है. उसकी मदद से अवैध खनन को रोकने की कार्रवाई की जाती है. अब फिर कार्रवाई की जाएगी.
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