हेमंत शर्मा, इंदौर। अब तक आपने आवारा कुत्ते के काटने के बाद डॉक्टर से इलाज करवाने की बात तो सुनी होगी, लेकिन क्या आपने यह सुना है कि कुत्ते के काटने के बाद मरीज ने डॉक्टर की बजाय न्यायालय की शरण लेने चला हो! जी हां… यह अनोखा वाक्या इंदौर में सामने आया है. जहां एक अधिवक्ता को कुत्ते ने काट लिया है. जिसके बाद अब अधिवक्ता हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने का मन बना चुका है.
यह बात इतनी चौंकाने इसलिए भी लग रही है क्योंकि एक आवारा कुत्ते के काटने पर या तो व्यक्ति हकीम से दवा करवाता है, या फिर डॉक्टर से इलाज करवाने जाता है. लेकिन इंदौर शहर में एक अधिवक्ता को जब कुत्ते ने काट लिया तो उसने अपने सीनियर को सारा घटनाक्रम बताया. जिसके बाद सीनियर अधिवक्ता ने अब इसका जिम्मेदार समाजसेवी संगठनों के साथ ही निगम कॉर्पोरेशन और प्रशासन को मान लिया है.
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दरअसल, शहर के एक अधिवक्ता को उस समय आवारा कुत्ते ने काट लिया, जब वह इंदौर की उच्च न्यायालय परिसर के पोस्ट ऑफिस में कुछ जरूरी काम करने के लिए गया था. वह जैसे ही पोस्ट ऑफिस से अपना काम निपटा कर बाहर निकला तो उसका पैर कुत्ते के ऊपर पड़ते-पड़ते बच गया. लेकिन कुत्ते ने यह नहीं देखा कि वह वकील साहब हैं. कुत्ते ने उन पर हमला बोल दिया. हमला भी ऐसा बोला कि कुत्ते ने अपनी छाप छोड़ दी. जिसके बाद वकील साहब सीधे सरकारी अस्पताल पहुंचे. जहां पर उन्होंने अपना पहले उपचार करवाया. जिसके बाद अपने सीनियर अधिवक्ता वीरेंद्र तांबे के पास पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पूरा घटनाक्रम अपने साथियों को सुनाया. जहां अधिवक्ताओं ने निर्णय लिया कि क्या मध्य प्रदेश की इंदौर हाईकोर्ट परिसर में कुत्तों का इतना आतंक हो चुका है कि अब वकीलों का आना भी मुश्किल हो जाएगा. यह बात केवल हाईकोर्ट परिसर तक की ही नहीं रही. जिसे अधिवक्ता वीरेंद्र तांबे ने जनहित में उठाने का मन बना लिया है.
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अधिवक्ता वीरेंद्र तांबे का कहना है कि शहर भर में आवारा कुत्तों का आतंक देखने को मिल रहा हैं. छोटे-छोटे बच्चे गलियों से गुजरने में डरते हैं. कॉलोनियों और मोहल्लों में रातों को आवारा कुत्तों का आतंक साफ देखा जा सकता है और जब भी इन पर कार्रवाई की बात आती है, तो कई समाजसेवी संस्थाएं इनकी पैरवी करने खड़ी हो जाती है. जिसके बाद अब अधिवक्ता वीरेंद्र तांबे उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करने की बात कह रहे हैं.
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गौरतलब है कि इस घटनाक्रम के बाद शासन-प्रशासन की नींद तो जरूर खुलने की उम्मीद है. क्योंकि शहर में लगातार कुत्तों का आतंक साफ देखा जा रहा है. गली मोहल्लों और कॉलोनियों में तो यह कुत्ते रहवासियों का जीना दुश्वार कर चुके हैं. अब इनका आतंक न्यायालय परिसर तक भी पहुंच चुका है. देखना होगा यह जनहित याचिका कब तक दायर होती है.
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