रायपुर। झीरम कांड मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर जांच एजेंसी एनआईए पर सवाल खड़े किये हैं। सीएम ने ट्वीट कर कहा है कि एनआईए ना तो झीरम हत्याकांड की जांच कर रही है और ना ही हमें जांच करने की अनुमति दे रही है। आखिर वे किसकी रक्षा कर रहे हैं? सीएम ने एक अंग्रेजी अखबार की वेबसाइट में छपे अपने इंटरव्यू को शेयर करते हुए यह ट्वीट किया है।

दरअसल रिपोर्टर ने सीएम से भीमा कोरेगांव मामले में पिछले 2 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को लेकर सवाल पूछा था कि वे छत्तीसगढ़ में कई सालों तक लगातार एक्टिव रही हैं। उनकी भूमिका पर छत्तीसगढ़ पुलिस का क्या आंकलन है? जिसका जवाब में उन्होंने बताया कि वे सुधा भारद्वाज को जानते हैं। वे उनके निर्वाचन क्षेत्र में भी काम कर चुकी है। उनके काम को एक वकील के रुप में देखा है। नक्सलियों के साथ उनके संबंधों की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन उन्हें गिरफ्तार किया गया है तो संभव है कि उनके खिलाफ कुछ गुप्त इनपुट रहे होंगे। हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।

दो साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी उन्हें जमानत नहीं दिये जाने के सवाल पर सीएम ने कहा कि यह सवाल केंद्र से पूछिये। झीरमघाटी मामले (2013) को एनआईए को जांच के लिए दिया गया था, उन्हें कोई सबूत नहीं मिला, अब हम उस मामले की जांच करना चाहते हैं लेकिन केंद्र इनकार कर रहा है। हम कोशिश कर रहे हैं, हम कोर्ट भी गए। 2019 के आम चुनावों में भाजपा के एक विधायक की हत्या कर दी गई थी, हमने जांच पूरी कर ली थी। फिर अचानक केंद्र ने एनआईए जांच की घोषणा की, सभी दस्तावेज एनआईए ने छीन लिए। हमने केंद्र को अनुमति नहीं दी… एनआईए ने हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया कि हमें पूरी [केस] डायरी उन्हें मिलनी चाहिए। वे किसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं?