नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल सरकार ने ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म पर बैन लगाने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया. इसमें दावा किया गया है कि फिल्म हेरफेर किए गए तथ्यों पर आधारित है और इसमें ‘हेट स्पीच’ का इस्तेमाल किया गया है. और इसमें “तथ्य के साथ छेड़छाड़” की गई हैं जो सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा कर सकते हैं.

ममता सरकार ने दावा किया है कि इस फिल्म से राज्य में सांप्रदायिक तनाव और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. नफरत और हिंसा की किसी भी घटना से बचने बात कहने वाले अपने फैसले का बचाव करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने जवाबी हलफनामे में कहा कि फिल्म के दिखाए जाने पर कट्टरपंथी समूहों के बीच झड़प होने की संभावना है. राज्य सरकार ने कहा कि उसे इस बारे में खुफिया जानकारियां मिली हैं कि फिल्म के प्रदर्शन से सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि फिल्म देश के बाकी हिस्सों में रिलीज हो चुकी है और पश्चिम बंगाल अलग नहीं है. बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार के बैन के फैसले को फिल्म के मेकर्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. फिल्म के निर्माता विपुल अमृतलाल शाह और निर्देशक सुदीप्तो सेन हैं.

याचिकाकर्ता ने पश्चिम बंगाल सिनेमा (रेगुलेशन) एक्ट 1954 की धारा 6 (1) की संवैधानिकता को भी चुनौती दी है, जिसके तहत पश्चिम बंगाल सरकार ने फिल्म पर बैन लगाया है. सुप्रीम कोर्ट अब बुधवार (17 मई) को मामले पर सुनवाई करेगा. राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि याचिका अस्पष्ट-गलत है और जारी रखने योग्य नहीं हैं. इससे पहले तमिलनाडु सरकार याचिकाकर्ता के बैन लगाने वाले आरोपों का खंडन करते हुए शीर्ष अदालत में जवाब दाखिल कर चुकी है.

बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने ‘द केरला स्टोरी’ के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने के 3 दिन बाद इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ फिल्म निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर अदालत ने बंगाल सरकार से जवाब तलब किया था. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा.