Rang Panchami 2024 : होली धुलेंड़ी के 5 दिन बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में धूमधाम से रंगों का त्यौहार रंगपंचमी मनाने की परंपरा है.  

यहाँ खेली जाती है लठमार होली (Rang Panchami 2024)

छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले से 45 किमी दूर ग्राम पंतोरा में रंगपंचमी पर कुंवारी कन्या लठमार होली खेलती है.  ग्रामीण युवकों पर जमकर छड़ियां बरसाई जाती है. बाजे-गाजे के साथ कन्याओं की टोली ने गांव में भ्रमण पर निकलती है.  गांव वाले इसे डंगाही त्यौहार कहते हैं. दोपहर में मंदिर में छड़ियों की पूजा- अर्चना की जाती है. मंदिर परिसर में शाम 4 बजे से 12 साल तक की कुंवारी कन्याएं इकट्ठा होकर छड़ियों की पूजा के बाद इन छड़ियों को हाथ में लेकर पहले भवानी मंदिर में दाखिल होती और देवी-देवताओं पर छड़ी के प्रहार के साथ लठमार होली शुरू हो जाती है.  मंदिर से बाजे-गाजे व रंग गुलाल के साथ ग्रामीणों की टोली के आगे-आगे छड़ी लिए बालिकाएं चलती है.  

रंगपंचमी के दिन कुंआरी कन्याएं गांव में घूम-घूम कर पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं.  इस मौके पर गांव से गुजरने वाले हर पुरुष को लाठियों की मार झेलनी पड़ती है, चाहे वह कोई भी हो, फिर वह सरकारी कर्मचारी हो या पुलिस.  करीब 300 वर्षों से अधिक समय से जारी यहां की लट्ठमार होली अब यहां की परंपरा बन गई हैं.

परंपरा के पीछे की मान्यता

ग्रामीणों का विश्वास है कि लठमार होली में जिस पर कन्याएं छड़ी का प्रहार करती हैं, उन्हें सालभर तक कोई बीमारी नहीं होती.  जिले की यह अनूठी परंपरा सालों से चली आ रही है, जिसे देखने पहरिया, बलौदा, कोरबा, जांजगीर सहित आसपास के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित होते हैं.  कन्याएं उन पर भी छड़ियों से प्रहार करती हैं.  

दुधमुंहे बच्चों को ही पड़ती है छड़ी

सालभर स्वस्थ रहने की कामना लिए मां अपने दुधमुंहे बच्चों को लेकर घर के सामने कन्याओं की टोली का इंतजार करती रहीं.  जैसे ही उनकी टोली घर के सामने पहुंची, बच्चों को उनके सामने कर दिया गया.  कन्याएं ने उन पर भी छड़ियों का हल्का प्रहार कर माता से उनके स्वस्थ रहने की प्रार्थना करती है.