रायगढ़. महिलाओं की झिझक और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को ध्यान में रखते हुए देश में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाने की योजना पर काम चल रहा है. कई जगहों पर यह सेवा शुरू भी हो चुकी है. जहां सेवा शुरू की गई है उसमें छत्तीसगढ़ राज्य भी शामिल है. लेकिन यहां पर सेवा शुरूआत में ही दम तोड़ती नजर आ रही है.

हम बात कर रहे हैं रायगढ़ जिले की. जहां स्कूली छात्राओं को स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए कई जगहो पर सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई गई है. लेकिन इसकी मानीटरिंग सही तरीके से नहीं हो पाई. जिसके चलते इस योजना का लाभ जरूरतमंदो को नहीं मिल पा रहा है.

आलम ये है कि जिले में लगी 52 सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनों में से महज 10 फीसदी ही इस्तेमाल में आ रही हैं. कहीं मशीनें खराब हैं तो कहीं रा मटेरियल नहीं मिलने की वजह से इनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि नैपकिन की दरें कम होने की वजह से सप्लाई करने वाली एजेंसी भी इनकी सप्लाई में दिलचस्पी नहीं ले रही है.

रायगढ़ जिले में ‘बेटी बचाओ’ अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में छात्राओं को वेंडिंग मशीन के जरिए सैनिटरी नैपकिन देने की योजना बनाई गई थी. योजना के तहत जिले के 56 स्कूल व हॉस्टल का चयन किया गया था, जिसमें सेनेटरी वेंडिंग मशीन लगाई गई. पहले चरण में 21 स्कूलों में तथा 35 आदिवासी छात्रावासों में सीएसआर मद से मशीनें लगाई गई थी. योजना के तहत 2 रुपए में छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना था. शुरुआती दौर में तो मशीनें काम करती रही लेकिन बाद में फंड की कमी की वजह से स्कूलों व छात्रावासों में इस मशीन ने काम करना बंद कर दिया.

बताया जाता है कि सैनिटरी नैपकिन की लागत तकरीबन 5 रुपए 10 पैसे है, जबकि स्कूलों में 2रुपए प्रति सैनिटरी नैपकिन की दरें ही स्वीकृत हैं. ऐसे में समूह 5 रुपए से कम की लागत पर सैनिटरी नैपकिन विक्रय को तैयार नहीं हो रहे. नतीजन योजना दम तोड़ रही है. शहर के नटवर स्कूल में जहां मशीन बंद पडी है तो वहीं पुत्री शाला में पहले तो छात्राओं को बाहर से सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराई गई लेकिन फिर अब यहां भी फंड की कमी चलते सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

इधर मामले में स्कूली शिक्षका ज्योति जांगड़े ने बताया कि कुछ जगहों को छोड़कर बाकी स्कूलों में मशीनें काम कर रही हैं. जहां दिक्कतें हैं वहां रा मैटेरियल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. कलेक्टर का कहना है कि आने वाले समय में महिला समूहों को सैनिटरी नैपकिन निर्माण की ट्रेनिंग देकर उनसे रा मटेरियल तैयार कराया जायेगा, जिससे सैनिटरी नैपकिन की सप्लाई में दिक्कत न आ सके.