नई दिल्ली। कोरोना की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन से भले ही चोरी, लूट जैसी घटनाओं में कमी आई हो, लेकिन घरों में महिलाओं को बच्चियों से होने वाले दुर्व्यवहार में कमी नहीं आई है. इसका जीता-जागता नमूना ‘चाइल्डलाइन 1098’ का आंकड़ा है, जहां लॉकडाउन के पहले 11 दिनों में 92,000 कॉल दर्ज किए गए हैं.

चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन ने लॉकडाउन के पहले सप्ताह में 3.07 लाख कॉल रिसीव किए, जिसमें से 30 प्रतिशत बच्चियों से दुर्व्यवहार और हिंसा से जुड़े थे. चाइल्डलाइन इंडिया की डिप्टी डायरेक्टर हरलीन वालिया बताती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ऐसे कॉल की संख्या में 50 फिसदी की बढ़ोतरी हुई है.

इसके इलावा चाइल्डलाइन को लॉकडाउन के दौरान 11 प्रतिशत कॉल स्वास्थ्य से जुड़े, 8 प्रतिशत बाल श्रम से जुड़े, 8 प्रतिशत बच्चों के गुम होने या भाग जाने और 5 प्रतिशत घर से बेघर होने के रिसीव किए गए. इन सबके अलावा चाइल्डलाइन को 1677 कॉल कोरोना वायरस से जुड़े और 237 कॉल बीमार लोगों की तिमारदारी से जुड़े हुए थे.

बच्चियों के साथ महिलाएं भी घर में महफूज नहीं हैं. नेशनल कमीशन ऑफ वूमेन की अध्यक्ष रेखा शर्मा हाल में बताया था कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हुआ है. 24 मार्च से एक अप्रैल के बीच 257 मामले दर्ज किए गए हैं, इसके अलावा 67 शिकायत ई-मेल के जरिए प्राप्त हुए.