सत्यपाल राजपूत, रायपुर।  छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देशभर में मेडिकल में एंटीजन किट मिलने लगा है. मेडिकल से ख़रीद टेस्ट करने वालों की संख्या दोगुना हो गई है. खुद घर पर कोविड टेस्ट करने की किट बाजारों में धड़ल्ले से बिक रही है. ICMR की मंजूरी मिलने के सैंकड़ों मेडिकल स्टोर्स पर हजारों किट बेची जा रही है, लेकिन इसका रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग या ड्रग डिपार्टमेंट के पास नहीं है. रोजाना हजारों लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं. पहचान छिपाने के चक्कर में लोग ये रास्ता अपना रहे हैं, ये रास्ता सरकार और दूसरों के लिए घातक साबित हो सकता है.

हॉस्पिटल बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष एवं आईएमए सदस्य डॉक्टर राकेश गुप्ता ने कहा कि लोग मेडिकल से लेकर एंटीजन किट से कोरोना टेस्ट करेंगे, सही इलाज नहीं मिला तो अचानक क्रिटिकल मरीज़ों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों की व्यवस्था बिगड़ सकती है.

समय रहते शासन-प्रशासन को इसके लिए गाइडलाइन जारी करने की ज़रूरत है, क्योंकि जो मेडिकल से किट लेकर टेस्ट कर रहे हैं उनका रिकॉर्ड शासन प्रशासन के पास नहीं है. कौन निगेटिव है कौन पॉज़िटिव है, गाइडलाइन बन जाने से जानकारी रहने से मरीज़ को इलाज मिल सकेगा और सुरक्षा चक्र भी नहीं टूटेगा.

एंटीजन में निगेटिव, RT-PCR में पॉज़िटिव

एक नहीं बल्कि हज़ारों लोगों की रिपोर्ट उदाहरण है कि जिन लोगों का एंटीजन टेस्ट में रिपोर्ट निगेटव आई है, लेकिन RT-PCR में पॉज़िटिव आई है. इस स्थिति में मरीज मानकर चलेगा की उसको कोरोना नहीं है, लेकिन ओ व्यक्ति संक्रमण को फ़ैलाएगा. दूसरा पहलू यह है कि स्वयं के टेस्ट कर लोग पहचान छिपा रहे हैं. इस स्थिति में उनको सही इलाज नहीं मिली तो मरीज़ जान भी गंवा सकता है.