शिखिल ब्यौहार, भोपाल। केंद्र में मोदी को रोकने के लिए बनाए गए इंडिया गठबंधन ने मध्यप्रदेश के उन नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी हैं जो संसद में बैठने ख्वाब संजोए हुए हैं। दरअसल करीब पांच माह बाद लोकसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी को रोकने के लिए बहुजन समाज पार्टी को छोड़ तमाम दल एकजुट हो गए हैं।
हालांकि केंद्र में इंडिया गठबंधन को लेकर हालात बहुत बेहतर नहीं है, लेकिन प्रदेश की सियासत में यह गठजोड़ कई सियासतदारों की मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कारण यह है कि इंडिया गठबंधन में मोदी को रोकने के लिए संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, तो दूसरी ओर गठबंधन के पहले आम आदमी पार्टी इस बात की साल भर पहले से ऐलान कर चुकी है कि विधानसभा के साथ लोकसभा के चुनावी मैदान में उतरेगी। तो सपा भी प्रदेश के लोकसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारती रही है। विवाद की जड़ का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने साफ किया है कि गठबंधन के अन्य सिसायी घटकों में मध्यप्रदेश में कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में है। लिहाजा यहां सभी 29 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी।
प्रदेश में प्रमुख रूप से दो ही दलों के बीच राजनीतिक संघर्ष रहा है। मामले पर आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव के लिए आप के प्रत्याशी भी तैयार हैं। प्रत्याशी की स्थिति के आधार पर ही टिकट वितरण होगा। एमपी में लोकसभा चुनावी माथापच्ची को लेकर बीजेपी ने कहा कि इंडिया गठबंधन का भविष्य ही अंधकार में है। विवादों के इस गठबंधन से कई दल किनारा करने की तैयारी में हैं। प्रदेश में कांग्रेस हो या गठबंधन का कोई प्रत्याशी मोदी के नाम पर जनता मोहर लगाएगी।
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