सत्यपाल सिंह,रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) रायपुर में फार्मासिस्ट संवर्ग के पदों पर जमाने से भर्ती नहीं हुई है. इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने राज्यसभा सांसद और AIIMS रायपुर के सदस्य सरोज पांडेय से मुलाकात कर भर्ती करवाने की मांग की है. छत्तीसगढ़ में अभी 20 हजार पंजीकृत फार्मासिस्ट है. हर साल 2200 फार्मेसी के छात्र डिग्री लेकर निकल रहे हैं. इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन का दावा है कि रायपुर एम्स के स्थापना से लेकर आज तक एक भी फार्मासिस्ट के पद नहीं भरे गए हैं.
AIIMS में फार्मासिस्ट भर्ती की मांग
इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सचिव राहुल वर्मा ने बताया कि आज राज्यसभा सांसद और AIIMS रायपुर के सदस्य सरोज पांडेय से मुलाकात कर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर में फार्मासिस्ट संवर्ग के पदों पर भर्ती करवाने की मांग की गई है. रायपुर एम्स के स्थापना 2012 में हुई थी. आज 8 वर्ष होने के बाद भी फार्मासिस्ट के एक भी पद भरे नहीं गए हैं. एम्स में कुल 32 वार्ड हैं. प्रत्येक वार्ड में अलग ड्रग स्टोर है, लेकिन ड्रग स्टोर में एक भी फार्मासिस्ट पदस्थ नहीं हैं. दवा प्रबंधन नर्सिंग कर्मचारी और वार्ड ब्वाय से काम करवा रही है, जो कि असंवैधानिक है.
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आईपीए ने उठाए सवाल
इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन (आईपीए) ने सवाल उठाते हुए कहा कि इतने बड़े केंद्रीय अस्पताल में कई सुपर स्पेशलिटी विभाग है. बावजूद इसके एक भी नियमित फार्मासिस्ट कार्यरत नहीं है. जबकि रोज 4 से 5 हजार मरीज की ओपीडी रहती है. ऐसे में मरीजों के जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. नियम कानूनों का पालन नहीं हो रहा है. जबकि प्रति महीने दवा में 5 करोड़ रुपए खर्च होता है.
संविदा में कार्य कर रहे 9 फार्मासिस्ट
रायपुर एम्स में स्वीकृत पद 40 है. अस्पताल स्थापना के बाद आज तक एक भी पद नहीं भरे गए. संविदा में 9 लोग भर्ती किया गया है. बावजूद इसके फार्मासिस्ट की भर्ती नहीं की गई.
राज्य में क्या है स्थिति ?
छत्तीसगढ़ में 20 हजार पंजीकृत फार्मासिस्ट हैं. हर साल 2200 फार्मेसी छात्र डिग्री लेकर निकल रहे हैं. जब इनके लिए कोई पद नहीं होगा, तो डिग्री का क्या औचित्य है ? प्रदेश में सभी जिला अस्पताल, सीएचसी से लेकर राज्य स्तरीय हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत है ?
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क्या कहता है फार्मेसी एक्ट ?
फार्मेसी एक्ट 1948 के सेक्शन 42 के अनुसार दवा प्रबंधन का कार्य गैर पंजीकृत फार्मासिस्ट से लेना असंवैधानिक है. ऐसे कर्मचारी को 6 महीने की कारावास और एक हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है.
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