नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर बीते साल लद्दाख में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में चीनी सैनिकों ने कांटेदार तार से लिपटे डंडों का इस्तेमाल किया था. इस नए तरीके के हथियार से निपटने के लिए भारतीय सैनिक अब सैपर पंच, दंड और भद्र से लैस हो रहे हैं.

पारंपरिक भारतीय हथियारों से प्रेरित होकर नोएडा की कंपनी एपास्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड ने इन हथियारों को विकसित किया है. इनके इस्तेमाल से दुश्मन को कुछ देर के लिए बेहोश या निष्क्रिय किया जा सकता है. कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि गलवान में चीनी सेना के विरुद्ध कंटीले तारों से लिपटे डंडों का उपयोग किए जाने के बाद सुरक्षा बलों ने हमें ऐसे हथियार विकसित करने के लिए कहा था.

अधिकारी बताते हैं कि भगवान शिव के त्रिशूल को बहुत घातक हथियार माना जाता है. त्रिशूल को विकसित कर इसमें करंट प्रवाहित करने की क्षमता बढ़ाई गई है.

वहीं वज्र एक मेटल की लाठी है, जिसमें चारों तरफ कांटे भी लगे हैं. इसके अलावा इसमें प्रवाहित करंट दुश्मन को कुछ देर के लिए बेहोश कर सकता है.

वहीं सैपर पंच बिजली का झटका देने वाला मुक्का है. यह वाटर प्रूफ अस्त्र माइनस 30 डिग्री के तापमान में भी काम कर सकता है.

भद्र एक ख़ास तरह की ढाल है, जो जवान को पत्थर के हमले से बचाती है. इसमें बहने वाला करंट दुश्मन को ज़ोर का झटका धीरे से देता है. इसी तरह दंड एक बिजली से चलने वाले डंडा है.ये 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है. ये वाटरप्रूफ़ भी है. और जिस पर डंडे की मार पड़ेगी वो उठेगा नहीं, उठ जाएगा.