कर्ण मिश्रा, ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में महिला सुरक्षा की ओर एक नवाचार किया गया है. बेटी बचाओ अभियान के बजट से अब शहर में स्तिथ कोचिंग कॉलेज औऱ महिला अपराध से जुड़े चिन्हित रेड एरिये मे बेटी की पेटियां लगाई जाएंगी. महिला बाल विकास की निगरानी में ये काम शुरु हुआ है.

ग्वालियर में महिला बाल विकास विभाग ने बेटी की पेटियां तैयार कराई है. इसके पीछे मकसद यही है कि बेटियों की सुरक्षा तभी हो सकती हैं जब उनकी बात सुनी जा सकेगी. पहली बार महिला एवं बाल विकास विभाग ने बेटी बचाओ अभियान के बजट से बेटी की पेटियां तैयार कराई है. पहले फेज में 20 पेटियां तैयार कराई गई हैं. जिन्हें शहर में संचालित विभाग की 10 परियोजना अधिकारियों को दिया जाएगा. वह अपने एरिया में बेटियों की सुरक्षा के लिहाज से चिन्हित स्थान पर उन्हें लगाएंगे. तैयार कराई गई बेटी की पेटियों पर महिला हेल्पलाइन के साथ अन्य जरूरी जानकारियां भी दर्शायी गई हैं.

महिला सुरक्षा को लेकर इस नवाचार कि लोग सराहना कर रहे हैं, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं. शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि कुछ समय पहले ग्वालियर पुलिस ने भी बेटी की पेटी शहर में कोचिंग कॉलेज के बाहर लगाई थी, लेकिन उनकी मॉनिटरिंग न होने के चलते उन पेटियों के अंदर से बेटियों की सुरक्षा से जुड़े विषय ना निकलते हुए आपत्तिजनक सामग्री बरामद हो रही थी और हाल यह हुआ कि बेटी की पेटी जंग खाकर खत्म हो गई.

शहर की बेटियों का भी मानना है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने बेटियों की सुरक्षा के लिए जो नवाचार किया है, वह मील का पत्थर साबित हो सकता है. क्योंकि कई बार बेटियां अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार और शोषण के बारे में अपने परिजनों को भी झिझक के चलते नहीं बता पाती, लेकिन बेटी की पेटी में वह अपनी परेशानी को बता सकती हैं जिस पर कारवाई होने पर उन्हें काफी हद तक मदद मिल सकेगी.

कुछ बेटियों का यह भी कहना है कि विभाग को इस ओर भी ध्यान देना होगा कि यदि नवाचार किया गया है तो उसके लिए विशेष अधिकारी तैनात कर उसकी प्रॉपर मॉनिटरिंग के साथ उसमें दर्ज कराई गई शिकायत पर सख्त एक्शन भी लेना कि यह नवाचार सिर्फ खानापूर्ति तक ही सीमित रह जाए.

कुत्तों के आतंक की राजधानी: 7 साल के बच्चे पर झपटे कुत्ते, प्रिंसिपल पर भी किया हमला

गौरतलब है कि बीते साल के आंकड़े और इस साल के बीते महीनो में शहर के अंदर महिला अपराध में तेजी से ग्राफ बढ़ा है. सबसे ज्यादा स्कूल कॉलेज और कोचिंग की छात्राएं लूट, छेड़खानी और दुष्कर्म के साथ ही हत्या जैसी संगीन वारदात की शिकार बनी है. जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि वह लंबे समय से शोषण का शिकार होती रही. ऐसे में बेटी की पेटी के जरिए बेटियां बेझिझक अपनी परेशानी को पेटी में डाल सकेंगी, ताकि उन्हें संगीन वारदातो का शिकार बनने से बचाते हुए इस नवाचार की मदद से शहर में सुरक्षित माहौल मिल सके.

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H