प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने भारतीय नौसेना (INS Vikrant Indian Navy) को पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत सौंपा. आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) की खास बात यह है कि यह एक स्वदेशी युद्धपोत है. इसे 2009 में बनाना शुरू किया गया था. अब यह नौसेना 13 के बाद मिली है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने नौसेना के नए ध्वज का अनावरण भी किया. नौसेना का नया पताका औपनिवेशिक अतीत से दूर है और भारतीय समुद्री विरासत से सुसज्जित है.

भारत का पहला विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ नौसेना में शामिल होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को इसे राष्ट्र को समर्पित करेंगे. खास बात यह है कि इस उपलब्धि से भारत उन देशों के कुलीन समूह में शामिल हो जाएगा जो विमानवाहक पोत बनाने में सक्षम हैं. फिलहाल इन देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन के नाम शामिल हैं. इतना ही नहीं यह दुनिया का 7वां सबसे बड़ा करियर होगा.

आकार, प्रकार और गति
20 हजार करोड़ की लागत से बना आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. इस अर्थ में, इसके उड़ान डेक का आकार दो फुटबॉल मैदानों के बराबर हो जाता है. यह वाहक 28 समुद्री मील की अधिकतम गति के साथ एक बार में 7 हजार 500 समुद्री मील (लगभग 14 हजार किमी) की दूरी तय कर सकता है.

यह भारत के समुद्री इतिहास में देश में बना पहला इतना बड़ा जहाज है. खास बात यह है कि इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी.

क्रू के लिए कैसी है व्यवस्था, महिलाओं के लिए खास इंतजाम
इस विशाल जहाज में कुल 18 मंजिल हैं, जिसमें 2400 डिब्बे बनाए गए हैं. यहां 1600 स्ट्रॉन्ग क्रू रह सकते हैं. इसमें महिलाओं की जरूरत के हिसाब से खास केबिन बनाए गए हैं. खास बात यह है कि आईएनएस विक्रांत में आधुनिक सुविधाओं से लैस किचन है, जिसमें मौजूद एक यूनिट प्रति घंटे 3 हजार रोटियां तैयार कर सकती है.

इसके मेडिकल कॉम्प्लेक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16 बेड हैं. इसके अलावा फिजियोथेरेपी क्लीनिक, आईसीयू, पैथोलॉजी, सीटी स्कैनर के साथ रेडियोलॉजी विंग और एक्स-रे मशीन, डेंटल और आइसोलेशन सुविधाएं हैं.

कितने विमानों की क्षमता है
आईएनएस विक्रांत 30 विमानों के समूह को समायोजित कर सकता है. मिग-29के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टर और हल्के लड़ाकू विमान. समुद्र में दुश्मनों को मात देने के लिए इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात की जा सकती है. यह एक मध्यम दूरी की मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी, जहाज, वाहक या यहां तक ​​कि पृथ्वी से भी लॉन्च किया जा सकता है.

निर्माण और भविष्य की तैयारी की कहानी
नौसेना ने जानकारी दी है कि इसके निर्माण में 76 प्रतिशत स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल किया गया है. आईएनएस विक्रांत को 20 हजार करोड़ रुपये में तैयार करने में 2 हजार सीएसएल कर्मी और परोक्ष रूप से 13 हजार अन्य लोग भी शामिल थे. आईएनएस विक्रांत का उड़ान परीक्षण नवंबर तक शुरू हो जाएगा और वाहक 2023 के मध्य तक संचालन के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा.

क्या हैं सुरक्षा इंतजाम
यह बताया गया है कि वाहक कई आधुनिक प्रणालियों जैसे एंटी सबमरीन वारफेयर, एंटी सरफेस, एंटी एयर वारफेयर से लैस है. इनकी मदद से यह आसपास आने वाले खतरों को आसानी से भांप सकता है और उनका मुंहतोड़ जवाब दे सकता है.

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