रायपुर। जीएसटी के तहत किसी भी सामान के ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वे यानि इलेक्ट्रॉनिक बिल की व्यवस्था 1 जून से लागू होगी. इस व्यवस्था के तहत कोई भी रजिस्टर्ड व्यक्ति ई-वे बिल के बिना 50,000 रुपए से अधिक का सामान कहीं ले नहीं जा सकेगा.
आपको बता दें कि ई-वे बिल की व्यवस्था 16 जनवरी 2018 से उपलब्ध होगी और राज्य स्वैच्छिक आधार पर इसे जून से पहले भी अपना सकते हैं. इंटर स्टेट ई-वे बिल 1 फरवरी 2018 से लागू होगा. वहीं इंट्रा स्टेट ई-वे बिल 1 जून 2018 से लागू किया जाएगा. ई-वे बिल का ट्रायल 16 जनवरी से शुरू होगा. ई-वे बिल शुरू करने का मकसद टैक्स चोरी रोकना है. 1 जून 2018 से ई-वे बिल अनिवार्य हो जाएगा. 10 किलोमीटर से बाहर माल जाने पर ही ये बिल लगेगा. ई-वे बिल में एच एस एन कोड के हिसाब से एंट्री करनी पड़ेगी. सभी एच एस एन कोड और उसका अलग अमाउंट भरना पड़ेगा.
इ-वे बिल में गलती होने पर सुधार की गुंजाइश नहीं. ये 24 घंटे के अंदर कैंसिल किया जा सकता है. लेकिन अगर 24 घंटे के अंदर जिस वाहन से माल जा रहा है, उस वाहन की विभाग द्वारा जांच कर ली गई है, तो फिर ये कैंसिल नहीं होगा.
इ-वे बिल का पार्ट ए आपको भरना है और पार्ट बी ट्रांसपोर्टर को भरना है, क्योंकि उसमें गाड़ी नंबर लिखना है, लेकिन अगर आप खुद अपनी गाड़ी से भेज रहे हैं, तो पार्ट बी भी आप को ही भरना पड़ेगा. ई-वे बिल 100 किमी प्रतिदिन के हिसाब से ही जारी होगा और ये आप अपने कंप्यूटर से जारी कर सकते हैं. इसको रजिस्ट्रेशन के लिए भी एक वेबसाइट दी गई है. जिसमें रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है. इसके लिए भी कहीं जाने की जरूरत नहीं है. इ-वे बिल माल भेजने वाला या लेने वाला कोई भी जारी कर सकता है.
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा
ई-वे बिल व्यवस्था के तहत 50,000 रुपए से ज्यादा मूल्य का सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने से पहले उसका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. वहीं प्रदेश के अंदर ही वस्तुओं को ट्रांसपोर्ट करने के लिए इंट्रा स्टेट ई-वे बिल बनेगा. एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने या मंगाने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल बनेगा. ई-वे बिल रजिस्टर सप्लायर, बायर और ट्रांसपोटर्स जेनरेट करेगा. ई-वे बिल एसएमएस के माध्यम से बनाया और कैंसल कराया जा सकता है.
सरकार को उम्मीद है कि ई-वे बिल्स की शुरुआत के बाद GST कलेक्शन में 20-25 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. इससे माल के आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी और रेवेन्यू लीकेज रुकेगा.
ई-वे बिल एक टोकन
ये एक टोकन है, जो माल की आवाजाही के लिए ऑनलाइन जेनरेट किया जा सकता है. ये पूरे देश में वैध होगा. ई-वे बिल रजिस्टर सप्लायर, बायर और ट्रांसपोटर्स जेनरेट करेगा. ट्रैकिंग के लिए यूनीक ई-वे बिल नंबर और क्यूआर कोड जेनरेट होगा. एसएमएस आधारित सुविधा भी उपलब्ध है.
ऐसे काम करेगा
पूरी यात्रा के दौरान केवल एक बार वेरीफिकेशन होगा. जांच और वेरीफिकेशन की ऑनलाइन रिपोर्टिंग होगी. वहीं 30 मिनट से अधिक समय तक मालवाहन के रोके जाने पर ट्रांसपोर्ट की इसकी जानकारी अपलोड की जा सकती है.
छूट का मिलेगा लाभ
50 हजार रु से कम मूल्य के सामान पर छूट. अंतरराष्ट्रीय पोर्ट से आंतरिक क्षेत्र में लाए जा रहे सामान पर छूट मिलेगी.
ई-वे बिल से फायदा
चेक पोस्ट पर वेटिंग टाइम में कमी होगी. पूरी तरह ऑनलाइन प्रोसेस होने से करप्शन रुकेगा.
ई-वे बिल कब तक रहेगा वैध
100 किमी तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-वे बिल बनेगा. 101 से 300 किलोमीटर की दूरी के लिए 3 दिन का ई-वे बिल बनेगा. वहीं 301 से 500 किमी तक के लिए बना ई-वे बिल 5 दिन के लिए और 501 से 1000 किमी के लिए बना ई-वे बिल 10 दिन के लिए और 1000 किलोमीटर से ज्यादा के लिए बना ई-वे बिल 20 दिन के लिए वैध होगा.
ई-वे बिल इन सामानों पर लागू नहीं होगा
ई-वे बिल से कॉन्ट्रासेप्टिव, ज्यूडिशियल और नॉन ज्यूडिशियल स्टांप पेपर, न्यूज पेपर, जूलरी, खादी, रॉ सिल्क, इंडियन फ्लैग, ह्यूमन हेयर, काजल, दीये, चेक, म्युनिसिपल वेस्ट, पूजा सामग्री, एलपीजी, केरोसिन और करंसी को बाहर रखा गया है. नॉन-मोटर कनवेंस, पोर्ट से ट्रांसपोर्ट होने वाले गुड्स, एयरपोर्ट, एयर कार्गो कॉम्पलेक्स और लैंड कस्टम स्टेशन के लिए आने-जाने वाले गुड्स पर भी ई-वे बिल लागू नहीं होगा.