सुधीर दंडोतिया, भोपाल। सियासत में कोई परमानेंट दोस्त और दुश्मन नहीं होता… यह कहावत बिलकुल सही है। इसे राजनीति की मजबूरी कह सकते हैं या खूबसूरती भी। जो राजनेता कभी तो पानी पी-पीकर एक दूसरे की कोसते हैं तो वहीं कभी गलबहियां डालकर घूमते दिखते हैं। यह नजारा चुनाव के समय ज्यादा देखने को मिलता है। पिछले यानी वर्ष 2019 और इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही दृश्य नजर आएगा।

मध्य प्रदेश की 29 में से चार लोकसभा सीटों पर पिछली बार आमने-सामने रहे भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी इस बार साथ-साथ हैं। ये सीटें गुना, रीवा, इंदौर और राजगढ़ की हैं। पिछले चुनाव में गुना से भाजपा प्रत्याशी केपी सिंह यादव से पराजित होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्ष 2020 में बीजेपी में आ गए थे। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार केपी सिंह यादव की जगह सिंधिया को मैदान में उतारा है।

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रीवा में भाजपा के जनार्दन मिश्रा के विरुद्ध कांग्रेस के सिद्धार्थ तिवारी चुनाव लड़े थे। सिद्धार्थ तिवारी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के पोते और पूर्व सांसद सुंदर लाल तिवारी के बेटे हैं। वह विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तक कांग्रेसी थे। इसके बाद बीजेपी में शामिल होकर त्योंथर से चुनाव लड़े और जीते। अब पुरानी खटास छोड़ दोनों एक-दूसरे के प्रशंसक हैं।

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राजगढ़ में भाजपा के रोडमल नागर से पराजित हुईं कांग्रेस प्रत्याशी मोना सुस्तानी मार्च 2023 में भाजपा में आ चुकी हैं। रोडमल नागर को फिर बीजेपी ने चुनाव लड़ाया है। अब सुस्तानी भी रोडमल नागर के प्रचार में उतरेंगी।

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इंदौर में पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे पंकज संघवी ने हाल में बीजेपी की सदस्यता ले ली है। यहां से भाजपा ने शंकर लालवानी को चुनाव लड़ाया है। 2019 में उन्होंने पंकज संघवी को पांच लाख 47 हजार मतों से हराया था। बीजेपी कांग्रेस को छोड़कर बसपा, सपा, अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी सहित अन्य दलों से पिछली बार मैदान में उतरे उम्मीदवारों में भी अब कुछ भाजपा और कुछ कांग्रेस में हैं।

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छिंदवाड़ा में कांग्रेस और भाजपा के बाद तीसरे नंबर पर रहे अखिल भारतीय गोंडवाना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी की बेटी मोनिका बट्टी विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हो गई थीं। इन 4 सीटों में गुना को छोड़ दें तो सभी जगह भाजपा तीन लाख से अधिक मतों से जीती थी। ऐसे में पार्टी इन्हें अपने लिए बेहद सुरक्षित सीट मान रही है, लेकिन पिछली बार के प्रतिद्वंद्वियों के साथ आने से पार्टी और मजबूत हुई है।

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