शब्बीर अहमद, सतना/भोपाल। किसी राज्य को पूर्व मुख्यमंत्री या फिर मौजूदा मुख्यमंत्री लोकसभा या फिर विधानसभा का चुनाव हार जाता है तो बड़े आशचर्य वाली बात लगती है, लेकिन मध्य प्रदेश में करीब तीन दशक पहले 1996 में एक ही सीट से दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव हार जाते है। ऐसा देश की सियासत में पहला राजनीति घटनाक्रम हुआ था। हम बात कर रहे है सतना लोकसभा की… साल था 1996 का जब यहां से दो दिग्गजों को बीजेपी और कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया। राजनीतिक पंडितों को लगा ये मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के दो पूर्व सीएम के बीच होगा, लेकिन सतना की जनता कुछ और ही सोच रखी थी।

जब परिणाम आए तो वो दिन देश की सियासत के साथ-साथ सतना के इतिहास में कभी ना भूलने वाला फैसला था, जिसकी आज भी चर्चा होती है। कांग्रेस और बीजेपी के दो धुंरधर चुनाव हार जाते है और हराने वाले होते है बहुजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुखलाल कुशवाह…

Lok sabha Election 2024: BJP के लिए जीत का गढ़ बन चुकी है सतना सीट, पटेल और ब्राम्हण वोटरों ने बनाया भाजपा का अभेद किला, दो पूर्व CM यहां से हार चुके हैं चुनाव

1996 के सतना के परिणाम ने मध्यप्रदेश की सियासत में भूकंप ला दिया। वजह थी दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की एक साथ हार, कांग्रेस ने सतना सीट जीतने के लिए अर्जुन सिंह को उम्मीदवार बनाया वहीं अर्जुन सिंह जिनकी एमपी की सियासत में तूती बोलती थी जो तीन बार के मुख्यमंत्री रहे, पंजाब के राज्यपाल रहे। बीजेपी ने अर्जुन सिंह को घेरने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा पर दांव लगाया, लेकिन सतना की जनता ने कुछ और तय कर रखा था। बसपा ने दोनों दिग्गजों के सामने टिकट दिया सुखलाल कुशवाह को… जब फैसला आया तो सुखलाल चुनाव जीत गए और अपने गढ़ से अर्जुन सिंह तीसरे नंबर और बीजेपी के वीरेंद्र कुमार सकलेचा दूसरे नंबर पर रहे।

जातिगत गोलबंदी के कारण मिली हार

दो दिग्गजों की शिकस्त के बाद जब हार का पोस्टमार्टम किया गया तो ये चीज निकलकर सामने आई की बसपा के प्रत्याशी सुखलाल कुशवाह के लिए जातिगत गोलबंदी देखने को मिली थी। पटेल, कुशवाह और दलित एकमुश्त बसपा के साथ चले गए थे। ब्राह्मण और ठाकुर अर्जुन सिंह और वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बीच बट गए थे। 1996 के इस परिणाम ने विंध्य संभाग में बसपा के राजनीतिक कद को बढ़ा दिया।

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सतना लोकसभा जातिगत समीकरण

  • चित्रकूट विधानसभा में करीब 26 फीसदी ब्राह्मण वोटर हैं।
  • रैगांव सीट पर वैश्य, ब्राह्मण व राजपूत 35 फीसदी।
  • सतना में राजपूत-बनिया 12 फीसदी हैं।
  • नागौद विधानसभा ठाकुर 13 फीसदी है वैश्य, व्यापारी-ब्राह्मण 20 पिछड़े 31 फीसदी हैं।
  • मैहर यहां 14 फीसदी कुर्मी वोटर हैं।
  • अमरपाटन में ब्राह्मण 15 व कोल 18 प्रतिशत हैं।
  • रामपुर बघेलान में ब्राह्मण 23 प्रतिशत हैं।

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सुखलाल के बेटे को कांग्रेस ने दिया लोकसभा का टिकट

सतना सीट पर 1998 से बीजेपी का कब्जा है, ये सीट बीजेपी का गढ़ बन चुकी है। इसी सीट पर इस बार दिलचस्प चुनाव होता दिखेगा। दो पूर्व सीएम को चुनाव हराने वाले सुखलाल कुशवाह के बेटे सिद्धार्थ कुशवाह सतना लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी बनाए गए है। उनके सामने लगातार तीन बार के बीजेपी के लोकसभा सांसद गणेश सिंह चुनावी मैदान में है।

मौजूदा सांसद को विधानसभा में दे चुके है मात

इन दोनों के मुकाबले में एक और रोचक कहानी है। दरअसल, चार महीने पहले हुए 2023 विधानसभा के चुनाव में सतना विधानसभा से दोनों आमने-सामने हो चुके है, जिसमें सिद्धार्थ कुशवाह जीत मिली थी। जबकी गणेश सिंह चुनाव हार गए थे। सिद्धार्थ कुशवाह फिलहाल कांग्रेस के विधायक भी और वो लगातार दूसरी बार सतना विधानसभा चुनाव जीते हैं। अब देखना होगा कि सिद्धार्थ कुशवाह अपने पिताजी की तरह इतिहास दोहरा पाएंगे ? क्या सतना लोकसभा से सिद्धार्थ कुशवाह को जीत मिलेगी ? यह तो 4 जून लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के दिन पता चल सकेगा।

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