बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर ऐसा काम किया है, जिससे पूरी दुनिया हैरान है. इसरो ने चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को वापस धरती की कक्षा में बुला लिया गया है. अब इसके अंदर लगे शेप पेलोड के जरिए धरती की स्टडी की जाएगी.
स्पेक्ट्रोपोलैरीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) को पहले सिर्फ तीन महीने चलाए जाने की योजना थी, क्योंकि अनुमान था कि प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) सिर्फ इतने ही दिन काम कर पाएगा. लेकिन प्रोपल्शन मॉड्यूल में इतना फ्यूल है कि अभी वह सालों तक काम कर सकता है.
शेप के जरिए धरती की स्टडी करने के लिए चांद के गोलाकार ऑर्बिट से प्रोपल्शन मॉड्यूल को धरती के नजदीक और सही ऑर्बिट में लाने का फैसला लिया गया. इसके बाद 9 अक्टूबर को इसरो वैज्ञानिकों ने PM को अपनी ऑर्बिट बदलने का निर्देश दिया. पहले वह 100 किमी ऑर्बिट पर चांद के चारों तरफ एक चक्कर 2.1 घंटे में लगा रहा था, फिर यह 7.2 घंटे में लगाने लगा.
इसके बाद वैज्ञानिकों ने PM में मौजूद फ्यूल की जांच की. इसके बाद 13 अक्टूबर को दूसरा ऑर्बिट बदलकर 1.8 lakh x 3.8 lakh किलोमीटर किया गया. इसके बाद 22 नवंबर इसके ऑर्बिट में सुधार कर पेरिजी 1.15 लाख किमी और एपोजी 3.8 लाख किमी की गई. अब वह ऐसी जगह से धरती पर नजर रख रहा है, जहां उसे किसी अन्य ग्रह, सैटेलाइट, उल्कापिंड या मेटियोर से खतरा नहीं है.
17 अगस्त को विक्रम लैंडर से हुआ था अलग
17 अगस्त 2023 को प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान – 3 के विक्रम लैंडर से अलग हुआ था. पहले उसकी लाइफ 3 से 6 महीने बताई जा रही थी. लेकिन ईंधन की जांच के बाद अब इसरो ने दावा किया है कि अभी यह कई सालों तक काम कर सकता है. जब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई थी. तब प्रोपल्शन मॉड्यूल में 1696.4 kg फ्यूल था. अब 150 kg फ्यूल बचा हुआ है. यानी यह 3 से 6 महीने तक ही काम नहीं करेगा. बल्कि यह कई सालों तक काम कर सकता है.