कुमार इंदर, जबलपुर। डॉक्टरों को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा गया है, बल्कि जब-जब कोई आपत्ति आई है डाक्टरों ने धरती के भगवान वाली कहावत को सच कर दिखाया है। जबलपुर के एक अस्पताल के डाक्टरों ने करीब 5 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद एक 14 साल के बच्चे को दोबारा पहले जैसी जिंदगी लौटाई है।
दरअसल, फ्रिज ब्लास्ट में कटनी निवासी 14 साल का एक बच्चा पूरी तरह के क्षत विक्षत हो गया था। बच्चे का जबड़ा बुरी तरह से फट गया था। हालत ये थी कि बच्चे का चेहरा पहचानना भी मुश्किल हो गया था, लेकिन डाक्टरों की टीम ने जबड़े की जटिल सर्जरी करने में न सिर्फ बड़ी सफलता हासिल की बल्कि जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे बच्चे को जीवनदान भी दिया। अस्पताल के योग्य और कुशल चिकित्सकों की टीम ने एक अलग तरह के भयावह व चुनौतीपूर्ण केस की सर्जरी कर असंभव को संभव कर दिखाया।
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5 घंटे तक लगातार सर्जरी, पहले जैसे बनाया चेहरा
इस जटिलतम केस की सफल सर्जरी कर बड़ेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल के डॉक्टर्स ने इतिहास रच दिया। यह ऑपरेशन बेहद ही दुर्लभ था क्योंकि मरीज के जबड़े की 100 से ज्यादा हड्डियां टूट चुकी थीं, जिन्हें जोड़ना आसान नहीं था। इसके अलावा बच्चे को सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी, लेकिन अस्पताल के योग्य और कुशल डाक्टरों की टीम ने इस जटिलतम केस को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए सर्जरी प्लान की और 5 घंटे तक लगातार सर्जरी कर जबड़े की 100 से अधिक टूटी हुई हड्डियों को जोड़ा गया और बच्चे का चेहरा लगभग पहले जैसा बना दिया गया। संभवतः यह जबलपुर का पहला ऐसा चुनौती भरा केस था जिसमें डॉक्टर्स ने सफलता प्राप्त की है। यह सफलता हॉस्पिटल की उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा और डॉक्टरों की उत्कृष्ट कुशलता का प्रमाण है।
प्लास्टिक सर्जरी से दिला दी पहले वाली पहचान
ऑपरेशन के बाद बच्चे का चेहरा प्लास्टिक सर्जरी से लगभग विस्फोट के पहले जैसा ही हो गया है और बच्चे का चेहरा देखकर यह नहीं लगता कि, उसका चेहरा इतनी बुरी तरह से क्षत-विक्षत हुआ था।
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सांस लेने में भी हो रही थी तकलीफ
चुकी विस्फोट से पूरा चेहरा बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया था और बच्चे को सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। इसलिए नाक, कान, गला विशेषज्ञ डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने गले से छेद कर पहले सांस लेने का रास्ता बनाया, फिर इस जटिल ऑपरेशन को किया गया।
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