इंदर कुमार, जबलपुर। अभी तक आपने कई मुशायरे और कवि सम्मेलन (Kavi Sammelan) के बारे में देखा और सुना होगा, लेकिन जेल के अंदर कवि सम्मेलन, सुनने में भले ही थोड़ा असहज लग रहा हो। लेकिन ऐसा ही कुछ जबलपुर (Jabalpur) के नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल (Netaji Subhash Chandra Bose Central Jail) जेल में हुआ है। छोटे-मोटे अपराधों से लेकर संगीन गुनाहों की सजा काट रहे कैदियों के बीच जब कविताओं की प्रस्तुतियां दी गई तो कैदी भी तालियां बजाने पर मजबूर हो गए। जबलपुर के केंद्रीय जेल में कैदियों के मानसिक और भावनात्मक पोषण के मकसद से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन और मनोवैज्ञानिक परिषद के ने आयोजित कवि सम्मेलन को कारागार में कविता का नाम दिया गया। कारागार में जब जाने-माने कवियों ने अपनी प्रस्तुतियां देना शुरू किया तो सजायाफ्ता कैदी भी पूरे गौर से उन्हें सुनते रहे। इंसानी जिंदगी के संघर्ष और जद्दोजहद से लेकर, जीवन के उतार-चढ़ाव और विभिन्न समसामयिक मसलों पर कवियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुतियां दी।

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कारागार में कविता कार्यक्रम में शिरकत करने प्रदेश के विभिन्न अंचलों से जाने-माने कवि पहुंचे। जिन्होंने अपनी रचनाओं से जेल की चारदीवारी के पीछे कैद सजायाफ्ता कैदियों का खूब मनोरंजन किया। जेल प्रशासन का कहना है कि जेल में जिंदगी गुजार रहे कैदी आमतौर पर भावनात्मक रूप से टूट जाते हैं। उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूती देने के मकसद से ही जेल में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

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