जगदलपुर–  जगदलपुर विधानसभा सीट पर शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है, 2003 में एसटी सीट होने की वजह से भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों से भारी मत मिले. वहीं 2008 में पिरीसीमन के बाद यह सामान्य सीट बनी. जिसके चलते जगदलपुर विधानसभा मे बीते तीन कार्यकाल से भाजपा का ही दबदबा बना हुआ है. हालांकि 2003, 2008, 2013 चुनाव में भाजपा के प्रत्याशियों ने ही इस सीट में जीत हासिल की है. इस सीट में 42 प्रतिशत सभी जाति धर्म वर्ग के सामान्य जाति के लोग मौजूद हैं, जबकि 58 प्रतिशत अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछडे़ वर्ग के लोग मौजूद है.
कौन कौन है मैदान में-
1. संतोष बाफना- बीजेपी
2. रेखचंद जैन- कांग्रेस
3. रोहित आर्य- आम आदमी पार्टी
4. मंगलराम कश्यप- सीपीआई
5. अमित पांडे- जनता छत्तीसगढ़ कांग्रेस जोगी
प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता-

संतोष बाफना- एम कॉम

रेखचंद जैन- बी.एस.सी, एल.एल.बी

रोहित आर्य- बीआईटी

मंगलराम कश्यप- प्राथमिक परीक्षा

अमित पांडे- स्नातक

2013 विधानसभा चुनाव, सामान्य सीट-

संतोष बाफना, बीजेपी, कुल वोट मिले 64803

श्यामू कश्यप, कांग्रेस, कुल वोट मिले 48145

जातीय समीकरण- 
जगदलपुर- जगदलपुर विधानसभा सामान्य सीट होने के वजह से यंहा 45 प्रतिशत ही आदिवासी बाहुल्य  क्षेत्र है, व 55 प्रतिशत मे जनरल व अन्य, पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं. सामान्य लोगों मे ब्राह्मण , मारवाड़ी, क्षत्रिय, कुर्मी व महारा जाति आदि लोग शामिल है जो जगदलपुर शहर और ग्रामीणो क्षेत्रों मे रहते है.

जनता के स्थानीय मुद्दे- 

1.बेराजगारी- जगदलपुर शहरी क्षेत्र होने की वजह से यहां स्थानीय लोगों की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. 60% युवा बेरोजगारी की समस्या से जुझ रहे राजनैतिक पार्टियां अपने चुनावी मुद्दों मे सबसे अहम बेरोजगारी को दूर करने की बात कहती है, लेकिन उघोग, कॉल सेंटर व किसी तरह की प्राईवेट कंपनी की स्थापना नहीं होने की वजह से बेरोजगारी यहां की सबसे बड़ी समस्या है.
2.मूलभूत सुविधा की मांग- इसके अलावा शुध्द पेयजल, ग्रामीण क्षेत्रों सड़कों का न बनना, बिजली का अभाव, दलपत सागर की भूमि पर बेजा कब्जा , जिला अस्पताल मे डॉक्टरों की कमी संसाधनो की कमी, स्टील प्लांट मे स्थानीय लोगों को नौकरी न मिलना, (बीपीएस) बस्तर परिवहन संघ को भंग कर दिया गया जिससे लगभग 2000 ट्रकों के मालिकों के सामने रोजी रोटी की समस्या आ खड़ी हुई थी, एवं अन्य चुनावी मुद्दे भी शामिल है.
क्या कहता है चुनावी समीकरण–  चुनावी समीकरण पर अगर नज़र डाले तो बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर है संतोष बाफना और रेखचंद जैन के बीच जीत का प्रतिशत 60-40 है. जनता का मानना है कि यहां विकास के काम तो हुए हैं पर कुछ मुद्दे एेसे हैं जिसपर काम किया जाना जरूरी है. वहीं दोनों ही प्रत्याशी व्यापारिक बैकग्राउंड संबंध रखते हैं.
2008 के विधानसभा चुनाव में दोनों प्रत्याशी आमने सामने थे जिसमें बीजेपी के संतोष बाफना ने कांग्रेस प्रत्याशी रेखचंद को 17 हजार वोटों से हराया था. विकास की अगर बात की जाए तो अंदरूनी इलाकों में सही तरीके से विकास ना होने के कारण जनता बीजेपी से खफा है. जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है. दूसरी पार्टियों पर अगर नज़र डाले तो आम आदमी पार्टी यहां कुछ समय से सक्रिय है और रोहित आर्य को टिकट दिया गया है. वहीं कुछ समय पहले ही अस्तित्व में आई जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी से अमित पांडे को टिकट दिया गया है. हालांकि इनकी पार्टियों की भूमिका चुनाव में खास असर डालते हुए तो नहीं दिख रही लेकिन निश्चित तौर पर ये वोट काटने का काम करेंगें.