रायपुर. राजधानी के टैगोर नगर लाल गंगा पटवा भवन में जारी चातुर्मासिक प्रवास अंतर्गत आचार्य महाश्रमण के शिष्य मुनिसुधाकर और मुनिनरेश कुमार के सान्निध्य में आज नवरात्रि के शुभ अवसर पर “नवाह्रिक आध्यात्मिक अनुष्ठान” का आयोजन किया गया. नियमित प्रवचन श्रृंखला पर आधारित विघ्न हरण की ढाल के साथ जय समवशरण में इस विषय पर मुनि सुधाकर ने श्रोताओं को नवरात्रि का महत्व बताया.

मुनि सुधाकर ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि नवरात्रि के नौ दिनों का जैन धर्म में भी विशेष महत्व है. नवरात्रि शक्ति की उपासना का सर्वोत्तम समय ह. उन्होंने ने ध्यान आकर्षित किया कि जैन धर्म के प्रत्येक तीर्थंकर भगवान की अपनी अधिष्ठायक देवीयां है जो इसकी महत्ता को परिभाषित करती है. जैन धर्म में मंत्रों का अपना विशेष महत्व है और मंत्रों की साधना से सिद्धि व शक्ति प्राप्त कि जा सकती है. जो कार्य साधन से नहीं हो सकता व साधना से साधा जा सकता है. रामायण में भी भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले शक्ति की उपासना की थी जिसके प्रतिक स्वरूप हम विजयादशमी मनाते हैं. मुनिने कई उदाहरणों से मंत्रों की शक्ति को समझाया.

प्रवचन के बाद मुनि नरेश कुमार ने नवाह्रिक आध्यात्मिक अनुष्ठान अंतर्गत मंत्रों का उच्चारण कराते हुए अनुष्ठान करवाया.