कलम के सिपाही के रूप में देश में अपनी अलग पहचान बनाने वाले प्रगतिशील कथाकार प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त बुराइयों को अपने उपन्यासों और कहानियों में उकेरा. उन्होंने शोषण और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई. प्रेमचंद ऐसे कालजयी लेखक हैं, जिन्होंने पीढ़ियों और समय की सीमाओं को पार कर लिया और आज तक उनकी रचनाएं प्रासंगिक है.