जगदलपुर. झीरमघाटी की पांचवी बरसी पर कांग्रेस के दिग्गज नेता आज झीरम पहुंचे. जहां उन्होंने इस घटने में शहीद हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और संकल्प यात्रा की शुरूआत की. इस दौरान पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने एक बार फिर सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि शहीदों के अधूरे काम को पूरा करने के लिये कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता संकल्पित है.अब परिवर्तन अवश्यम्भावी है. शहीदो ने परिवर्तन को जिस संकल्प को लेकर परिवर्तन यात्रा निकाली थी, उसी संकल्प को कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता और एक-एक नेता पूरा करेगा. झीरम में कांग्रेस नेताओं की शहादत को आज 5 वर्ष हो गये. आज तक अपराधी खुलेआम घूम रहे है। हम सब दुखी है हमारी निराशा और बढ़ गयी है। चिंता की बात यह है कि राज्य सरकार ने अभी तक झीरम घाटी के हत्यारों और षडयंत्रकारियों को पकड़ने के प्रयत्न भी आरंभ नहीं किये है.

झीरम मामले में एनआईए की जांच में बार-बार रमन सिंह सरकार के नोडल ऑफिसरो ने बाधा डाली और मोदी सरकार बनने के बाद तो जांच की दिशा ही बदल गयी. एनआईए ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपी दी, कोई खुलासा नहीं हुआ. झीरम की जांच के लिये बने जांच आयोग के कार्यक्षेत्र में साजिश की जांच को सम्मिलित ही नहीं किया गया है. दरभा थाने में जो रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

राजनाथ सिंह से मिलवाने का किया था वादा

एनआईए के द्वारा आधी-अधूरी जांच कर अंतिम रिपोर्ट आरोप पत्र दाखिल कर देने के बाद झीरम के शहीदों के परिजन कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव के साथ रमन सिंह जी से नये रायपुर में मंत्रालय भवन में मिले थे. रमन सिंह जी ने झीरम की साजिश की जांच के लिये केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलवाने की बात कही थी. शहीदों के परिजनों को केन्द्रीय गृहमंत्री से मिलाने का वादा किये रमन सिंह जी को आज तीन साल से अधिक हो गये. केन्द्रीय गृहमंत्री अनेक बार छत्तीसगढ़ आये लेकिन शहीदों के परिजनों को राजनाथ सिंह से न छत्तीसगढ़ में और न ही दिल्ली में मिलवाया गया.

सरकार ने की उपेक्षा

झीरम घाटी कांड एक राजनीतिक आपराधिक षड़यंत्र था. हमने विधानसभा में भी राज्य सरकार से मांग की थी कि सीबीआई से इसकी जांच करायी जाये. सरकार ने विधानसभा में घोषणा भी की. केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण झीरम मामले की साजिश की सीबीआई जांच नहीं हो पा रही है. विधानसभा में पूरे सदन की भावनाओं के अनुरूप सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा की लेकिन आज झीरम की घटना को 5 साल बीत जाने के बाद भी झीरम की साजिश की जांच शुरू नहीं हो सकी है.

घबरा जाते हैं सीएम

प्रदेश कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि जब-जब कांग्रेस पार्टी द्वारा झीरम कांड की आवाज उठाई जाती है तब-तब मुख्यमंत्री रमन सिंह घबरा जाते है और घबराहट में झीरम कांड के बाद अपने उस पहले बयान को भी भूल जाते है, जिसमें उन्होने घटना में हुई चूक को स्वीकार किया था. कांग्रेस पार्टी आज 25 मई को झीरम कांड के स्थान से ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनाने का संकल्प लेकर संकल्प यात्रा निकाल रही है.

जांच की मांग दुहराती है कांग्रेस

कांग्रेस की संकल्प यात्रा से छत्तीसगढ़ में परिवर्तन सुनिश्चित देखकर रमन सिंह बौखला गये है. झीरम कांड के तार सत्ता के केन्द्र से जुड़े है, क्योंकि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की ठीक उसी जगह सुरक्षा हटा ली गयी जहां परिवर्तन यात्रा पर माओवादी हमला हुआ था.  झीरम की साजिश को उजागर होने से रोकने में भाजपा की सरकारों की पूरी ताकत लगी हुयी है. भाजपा सरकार को इस बात की जानकारी है कि हत्यारे कौन है और षड़यंत्रकारी कौन है? उनकी पहचान का जानबुझकर छुपाने के लिये और उन्हें बचाने के लिये झीरम की साजिश की जांच कराने से पीछे हटा जा रहा है. जांच से रमन सरकार और षड़यंत्रकारियों के चेहरे बेनकाब हो जायेंगे. कांग्रेस पार्टी आज फिर से झीरम घाटी में हुये आपराधिक राजनैतिक षड़यंत्र की जांच की मांग दुहराती है. इस दौरान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंह देव सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता मौजूद थे.

परिवर्तन यात्रा का नाम अब संक्लप यात्रा

ज्ञात हो कि कांग्रेस की संकल्प यात्रा झीरम से होते हुए केशलूर पहुंचेंगी. यहां 23 गांवों के संकल्प शिविर का आयोजन होगा। इसके बाद यात्रा जगदलपुर के लिए रवाना होगी. बता दें कि जिस दौरान यह घटना हुई थि उस दैरान इसका नाम परिवर्तन यात्रा था. पर इसका नाम अब संकल्प यात्रा कर दिया गया है.  घटनास्थल से संकल्प यात्रा के कई मायने लगाए जा रहे हैं.  ऐसा माना जा रहा है कि कि भले ही कांग्रेस ने यात्रा का नाम बदला है . लिकन उनका मकसद आज भी भाजपा सरकार को राज्य से बेदखल करना है. आपको यह भी बता दें कि पिछले बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस घटना कि सहानुभूति मिली थी और कांग्रेस संभागे के 12 में से 8 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.

महेंद्र कर्मा थे मुख्य निशाना

गौरतलब है कि झीरम में आज के ही दिन कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर बड़ा हमला हुआ था. जिसमें कुल 32 कांग्रेसियों की मौत हो गई  थी. जिसमें प्रमुख रूप से पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, तत्कालीन पीसीसी चीफ नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार थे. बताया जाता है कि इस हमले का मुख्य निशाना बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा थे. सलवा जुडूम का नेतृत्व करने की वजह से नक्सली उन्हें अपना दुश्मन मानते थे. यह हमला 2013 में तब हुआ था जब कांग्रेस के नेता प्रदेश में परिवर्तन यात्रा निकालते हुए दरभा(झीरम) घाटी पहुंचे थे. जहां नक्सली पहले से ही घात लगाकर बैठे थे.यह पहला मौका था, जब नक्सलियों ने किसी राजनैतिक दल के नेताओं को सामूहिक रूप से निशाना बनाया था.