रायपुर. पशुपालन एवं डेयरी विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव  (एन एल एम) डॉ ओ पी चौधरी ने आज यहां आरंग विकासखंड के पारागांव एवं बड़गांव गौठानों का अवलोकन किया. उन्होंने गौठान में संचालित गतिविधियों की जानकारी ली. वहां उपस्थित ग्रामीणों, स्व सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा कर गौठानों से अर्जित होने वाले आय की जानकारी ली. ऐसी योजनाओं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के स्वालंबन के लिए राज्य सरकार का महत्वपूर्ण कदम है. ऐसी योजनाओं से स्थानीय स्तर पर ही ग्रामीणों को आमदानी का बेहतर साधन मिल रहा है और उनका आत्माविश्वास भी बढ़ रहा है.

 डॉ चौधरी ने अपने प्रवास के विषय में कहा कि वे छत्तीसगढ़ सरकार की योजना को समझने के लिए गौठानों का अवलोकन करने आए हैं. उन्होंने गौठान में संचालित मुर्गी पालन, बकरी पालन, वर्मी खाद निर्माण, बाड़ी योजना के तहत सब्जी उत्पादन, चारागाह विकास आदि की गौठान संचालक समिति के सदस्य एवं स्व सहायता समूह की महिलाओं तथा संबंधित विभाग के अधिकारियों से चर्चा की. केन्द्रीय संयुक्त सचिव ने राज्य सरकार की गौधन न्याय योजना तथा गौठानों को आजिविका केन्द्रों के रूप में विकसित करने की तारीफ की. उन्होंने पशुओं के गोबर से खाद बनाने के लिए नाफेड टंकी और वर्मी कंपोस्ट टंकी का अवलोकन करते हुए वर्मी खाद बनाने की पूरी तकनीकी की जानकारी ली. डॉ चौधरी ने गोबर संग्रहण, उत्पादन उसके विक्रय तथा अर्जित होने वाले आय की जानकारी ली.

स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि पारागांव गौठान में 3 एकड़ में गौठान बना हुआ है तथा 10 एकड़ में चारागाह विकसित किया गया है एवं 2 एकड़ में सब्जी भाजी का उत्पादन किया जा रहा है. समूह की महिलाओं ने बताया कि वर्मी खाद् उत्पादन से अब तक एक लाख अस्सी हजार से अधिक की आय अर्जित हो चुकी है, साथ ही बाड़ी योजना के तहत सब्जी उत्पादन से लगभग 2 लाख, बकरी पालन से 20 हजार तथा मुर्गी पालन से 80 हजार की आय अर्जित की जा चुकी है.

डॉ चौधरी के पूछे जाने पर ग्रामीणों ने बताया कि इस योजना के लागू होने से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है तथा आय अर्जित करने का एक स्थाई जरिया प्राप्त हुआ है. गौठानों में अब वर्मी कंपोस्ट के साथ सुपर कंपोस्ट का भी उत्पादन किया जाने लगा है. सहेली महिला स्व सहायता समूह पारागांव की दीदियों ने बताया कि वह 2 रूपये में गोबर की खरीदी करते हैं तथा खाद बनाने के बाद 10 रूपये में उसे बेचती हैं.

डॉ चौधरी ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि गौठानों को बिजनेस हब बनाने के बारे में भी सोचने की जरूरत है. क्योंकि गौठानों के माध्यम से कई प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियां संचालित की जा सकती हैं. उन्होंने इन्टरप्रन्यौरशिप की भी बात कही.

डॉ चौधरी ने मॉडल गौठान ग्राम पंचायत बड़गांव का भी अवलोकन किया. उन्होंने वहां संचालित सब्जी बाड़ी उत्पादन कार्य, मछली पालन कार्य, वर्मी सुपर कंपोस्ट उत्पादन, मुर्गी पालन, फुलवारी कार्य, मशरूम उत्पादन कार्य सहित अन्य गतिविधियों की वास्तविकता से जानकारी ली. उन्होंने वहां ग्रामीणों एवं सहायता समूह की महिलाओं से बात की. समूह की महिलाओं ने बताया की वर्मी कंपोस्ट से 1 लाख रूपये सुपर कंपोस्ट से 80 हजार रूपये तथा केंचुआ विक्रय से 50 हजार रूपये से अधिक की आमदानी हो चुकी है. डॉ चौधरी ने अर्जित आय की उपयोगिता की जानकारी ली.

ग्रामीणों ने बताया कि गौठान से उन्हें रोजगार प्राप्त हुआ है वे अर्जित आय को आवश्यकतानुसार बच्चों की पढ़ाई, घरेलु खर्चे, बचत तथा खेती-किसानों आदि में लगाते है. पशुधन विकास विभाग की संचालक श्रीमती चंदन त्रिपाठी ने बताया कि गोबर का विक्रय कर ग्रामीण अब आय अर्जित करने लगे हैं. गौठानों को पशुओं के लिए ‘‘डे केयर‘‘ सेंटर्स के रूप में विकसित किया गया है, जिससे पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बाड़ी योजना के तहत उत्पादित सब्जियों का विक्रय आंगनबाड़ी, स्कूल, छात्रावास आदि में भी किया जा सकता है. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य पशुधन विकास अधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ शंकरलाल उइके सहित पशुपालन, कृषि एवं पंचायत विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे.