शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में हाईकोर्ट के फटकार के बाद प्रदेशभर में करीब 3000 से अधिक पीजी डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है. जूडा ने सामूहिक इस्तीफे के बाद प्रदेस की राजधानी भोपाल में गुरुवार की शाम मीडिया से बात की. जूनियर डॉक्टर्स ने कहा कि सरकार हड़ताल रोक सकती है, लेकिन इस्तीफा नहीं. हालांकि जूडा अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएंगे. उनका कहना है कि अभी वे अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं. वे सरकार को ब्लैकमेल नहीं कर रहे हैं.

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बता दें कि मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई, जिसके बाद जबलपुर में जूडा ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया. जबलपुर मेडिकल कॉलेज के 400 जूनियर डॉक्टर्स, ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के 330 जूनियर डॉक्टर्स और इंदौर में भी लगभग 450 जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया.

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गौरतलब है कि प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है. हाईकोर्ट ने हड़ताल की निंदा करते हुए कहा कि संकट के इस समय जूनियर डॉक्टरों का ये कदम किसी भी हालत में उचित नहीं है. मामले में हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बेंच ने जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटो के भीतर काम पर वापस लौटने का आदेश दिया है. ऐसा न करने पर हाईकोर्ट ने जूडा के ख़िलाफ़ सरकार को सख़्त कार्यवाही के निर्देश दिये हैं.

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हाईकोर्ट ने ये आदेश शैलेन्द्र सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. जूडा की हड़ताल पर राज्य सरकार ने न्यायालय को बताया कि सरकार जूडा के परिजनों के मुफ्त इलाज की मांग मानने तैयार है. सरकार की तरफ से पेश जवाब में कहा गया कि मानदेय बढाने के नाम पर हड़ताल करना उचित नहीं है कोरोनाकाल में जूनियर डॉक्टर्स ब्लैकमेल न करे.

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