भोपाल। मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है. मोदी कैबिनेट में 43 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण कर ली है. वहीं अब सभी मंत्रियों को मंत्रालय भी बांट गया है. मध्य प्रदेश में बीजेपी के कोटे से भेजे गए ज्योतिरादित्यि सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया.
डा. वीरेंद्र कुमार खटीक अब पीएम मोदी की कैबिनेट का हिस्सा हैं. लगातार 7वीं बार संसद के लिए चुने गए. डॉ वीरेंद्र कुमार को मोदी मंत्रिमंडल में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रायल का कार्यभार सौंपा गया है.
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ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक सफर
पिता की मौत के बाद हुए उप चुनाव में माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बतौर कांग्रेस प्रत्याशी साढ़े चार लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की. मई 2004 में फिर से चुना गए, और 2007 में केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्री मण्डल में शामिल किया गया. उन्हें 2009 में लगातार तीसरी बार फिर से चुना गया और इस बार उन्हें वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया. 2014 में सिंधिया गुना से फिर चुने गए थे, लेकिन 2019 में कृष्ण पाल सिंह यादव से वह सीट हार गए. यह सिंधिया परिवार के लिए बड़ा झटका था. इससे वे उबर नहीं पाए और अंततः अपने समर्थक विधायकों से इस्तीफा दिलाकर कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिराई और फिर भाजपा में शामिल हो गए. इस्तीफा दिलाने से राज्य में सत्तारून कांग्रेस अल्पमत में और विपक्षी भाजपा बहुमत में आ गई. नतीजन शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा की राज्य में पन्द्रह महीनों के बाद फिर सरकार बन गई. इस बीच भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा सदस्य चुनकर भेज दिया. इसके बाद से ही उनके केंद्रीय मंत्री बनने की अटकलें लगती रहीं, लेकिन कोरोना और पश्चिम बंगाल चुनावों के चलते यह पुनर्गठन लगातार चलता रहा. अब वे मोदी सरकार में मंत्री बन रहे हैं. ऐसे में वे सिंधिया परिवार के पहले व्यक्ति होंगे जो गैर कांग्रेसी सरकार में शामिल होंगे.
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डॉ वीरेंद्र कुमार खटीक का राजनीतिक सफर
डॉ वीरेंद्र कुमार खटीक अब पीएम मोदी की कैबिनेट का हिस्सा हैं. लगातार 7वीं बार संसद के लिए चुने गए डॉक्टर खटीक को उनकी सादगी के लिए पहचाना जाता है. सांसद के पिता सागर में पंचर बनाने का कार्य करते थे. केंद्रीय मंत्रिमंडल में डा. वीरेंद्र कुमार के शामिल होने की जानकारी मिलते ही उनके गृहनगर में खुशी का माहौल है. वीरेन्द्र खटीक ने 5वीं से लेकर सागर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने साइकिल रिपेयरिंग का काम किया. वीरेंद्र खटीक ने छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था. वो 1977 में वीरेंद्र खटीक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे. इसके बाद इमरजेंसी के समय वीरेंद्र खटीक 16 महीने तक जेल में रहे. सन् 1996 में पहली बार सागर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. साल 2009 और 2014 में टीकगमढ़ सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे. सितंबर 2017 में मोदी सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में केंद्रीय राज्य मंत्री बने. साल 2019 में वो सातवीं बार लोकसभा सांसद चुने गए. वीरेंद्र खटीक सांसद बनने के बाद पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनने के लिए जन चौपाल लगाना शुरु की थी. उन्हें चौपाल वाले सांसद के नाम से भी जाना जाता हैं.
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