कुमार इंदर, जबलपुर। 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारी के साथ पूरे देश में उल्लास है। जबलपुर से अयोध्या जाकर विवादित ढांचा गिराने में भूमिका निभाने वाले उपेंद्र शर्मा ने एक डायरी लिखी है। उपेंद्र शर्मा ने डायरी में पूरी घडटनाक्रम का दिन और तारीख के साथ जिक्र किया है।

डायरी में लिखा है कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के आह्वान पर कार्यालय से छुट्टी लेकर अपने दो साथियों राजेन्द्र और रामा के साथ ट्रेन से अयोध्या पहुंचे थे। 5 दिसंबर को वह लखनऊ पहुंचे जहां पर विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने उनका स्वागत किया। उसके बाद उन्हें लखनऊ से अयोध्या जाने वाली ट्रेन में बिठाकर रवाना किया। रात को अयोध्या पहुंचे तो उन्हें वहां वाल्मीकि आश्रम में रुकवाया गया। 6 तारीख की सुबह सबको चाय नाश्ते के बाद उस स्थान पर भेजा गया जहां से विवादित ढांचा गिराने के लिए आगे बढ़ना था। लगभग 9 बजे लाखों कार सेवकों ने मंदिर की ओर कूच किया। वहां पहुंचने के बाद देखते ही देखते सभी उग्र हो गए और पुलिस से मुठभेड़ हो गई, जिसमें कई लोग घायल हो गए।

कई कार सेवक लहूलुहान हो गए

इसके बाद विवादित ढांचा तोड़ने और तनाव फैलने के बाद रात के 2 बजे वे सब इलाहाबाद रवाना हो गए। ढांचा गिराने के बाद उन्होंने डायरी में लिखा है ‘अयोध्या में दिवाली’। कारसेवा के उस मंजर को उपेंद्र शर्मा आज भी याद करते है। उनका कहना है कि जब लाखों की तादाद में कार सेवक अयोध्या में विवादित ढांचे पर चढ़े तो उन्हें पुलिस जबरदस्ती पीछे खींच रही थी, जिससे गिरकर कई कार सेवक लहूलुहान हो गए थे। इस दौरान कई कार सेवक लोहे की फेंसिंग के कांटों में फंस गए और शरीर से खून निकल रहा था। ऐसे घायलों को अस्पताल ले जाने की होड़ लगी रही। एंबुलेंस से घायलों को लेकर अस्पताल की ओर जाते भी नजर आ रहे थे।

चंदा की पैसे से गए थे अयोध्या

उपेंद्र शर्मा बताते हैं कि 4 तारीख को जबलपुर से अयोध्या रवाना होने से पहले उन्होंने पत्नी, साले, साली, सरहज और कुछ लोगों से चंदा लिया। फिर उन्हीं पैसों से जबलपुर से अयोध्या और फिर अयोध्या से वापस जबलपुर पहुंचे। अयोध्या जाने से पहले RSS कार्यालय में टोकन बंटा था। जिन लोगों को अयोध्या भेजा गया था उनकी एक टीम बनी थी और फिर उन्हें टोकन मिला था। जिन लोगों को टोकन मिला था उन्हीं लोगों को अयोध्या जाने की अनुमति थी।

विभाग ने भी दी थी मंजूरी

रेलवे के राजभाषा विभाग में अधीक्षक के पद से रिटायर हुए उपेंद्र शर्मा डायरी में लिखते है कि, जिस दिन जबलपुर से अयोध्या जाना तय हुआ था, वो अपने उच्च अधिकारी के ऑफिस पहुंचे और अयोध्या जाने के लिए छुट्टी ली। उनके अधिकारी ने भी स्वीकार कर लिया। उनका पूरा समय इन दिनों पूजा पाठ में बीत रहा है। उनके पास ऐसे लोगों का भी आना-जाना लगा रहता है जो विवादित ढांचे से जुड़े संस्मरण सुनना चाहते हैं। कार सेवा के बाद वे जैसे तैसे जबलपुर पहुंचे थे, तब तक यहां कर्फ्यू लग चुका था। बड़ी मुश्किल से पास की व्यवस्था कर वे अपने घर पहुंच पाए थे।

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