कवर्धा। छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से विख्यात कवर्धा जिले के भोरमदेव के तालाब में मछुआरों को अद्भुत ‘सकरमाउथ कैटफिश’ मिला है. ये विलुप्त प्रजाति का बताया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में इस प्रकार की मछलियां देखने तक को नहीं मिलती है. ऐसे में ये मछली मछुआरों के हाथ में आने के बाद बड़ा अजीब लगा. इसे लेकर गांव के सरपंच के पास ले गए. यह लोगों के बीच कौतूहल का विषय बना हुआ है.

भोरमदेव के तालाब में अद्भुत मछली मिलने से लोगों की भीड़ उमड़ इकठ्ठा हो गई. मछली की बाहरी त्वचा सख्त और मुंह की स्थिति भी ठीक नहीं थी. जानकारों की माने तो ये मछली कैटफिश प्रजाति की है. यह मछली जब मछुआरों का मिला, तो उसे लेकर सरंपच के पास पहुंचे. इस अद्भुद मछ्ली को संभाल कर रखा जाएगा. ज़िले के मछली विभाग में या फिशरीज कालेज में सौंपा जाएगा.

इसे भी पढ़ें- BIG BREAKING: छत्तीसगढ़ 31 मई तक रहेगा ‘लॉक’, लेकिन छूट में इजाफा, इन दुकानों को खोलने की मिली अनुमति 

इस तरह की मछली समुद्र की गहराई में रेत या चट्टान वाले क्षेत्र में रहती है. आमतौर पर इसे एक्वेरियम में रखा जाता है. ज्यादातर ये मछलियां बड़ी झील में पाई जाती है, जो पानी की गंदगी को खा जाती है. इन मछलियों में विशेष सहायक श्वसन अंग भी होते हैं. इस प्रजाति की मछली को कंटेनर में लंबे समय तक बिना भोजन दिए जिंदा रख सकता हैं.

यह जलीय पारिस्थितिकी में भयानक असंतुलन का कारण है. यह अपने से छोटी मछलियों ही नहीं बल्कि अन्य जलीय जीवों को भी खा जाती हैं. इस मछली का जंतु वैज्ञानिक नाम हाइपोस्टोमस प्लोकोस्टोमस है. विदेशों में इसे प्लैको नाम से भी जाना जाता है. देसी मछलियों को प्रजनन के लिए विशेष परिस्थिति की जरूरत होती है, लेकिन इनके साथ ऐसा नहीं है. ये मछलियां जल में किसी भी परिस्थिति में और कहीं भी प्रजनन कर सकती हैं. 

read more- Corona Horror: US Administration rejects India’s plea to export vaccine’s raw material