नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार दिल्ली की झीलों को फिर विकसित कर आकर्षक पर्यटन स्थलों में तब्दील करेगी. इस संबंध में जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर दिल्ली में बन रहे तमाम जलाशयों और झीलों के पुनर्विकास से संबंधित सभी परियोजनाओं की समीक्षा की.
‘सस्टेनेबल मॉडल’ का उपयोग कर झीलों का किया जाएगा कायाकल्प
जल मंत्री ने हर परियोजना की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा करते हुए विभिन्न पहलुओं पर सुझाव दिए. ये सुझाव दिल्ली सरकार द्वारा चलाई जा रही झीलों के कायाकल्प परियोजना का अनिवार्य रूप से हिस्सा बनेंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली की झीलें पर्यटन स्थलों में तब्दील की जाएंगी. दिल्ली सरकार ‘सस्टेनेबल मॉडल’ का उपयोग करके झीलों का कायाकल्प कर रही है. झीलों के आसपास पर्यावरण तंत्र को जीवंत करने के लिए देशी पौधों को लगाया जाएगा. साथ ही दिल्ली सरकार सभी जल निकायों को एक सुन्दर रूप देने की दिशा में भी काम कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि अंतर-विभागीय समन्वय के अभाव के कारण काम में देरी नहीं होनी चाहिए.
सत्येंद्र जैन ने सभी 22 झीलों और 200 जल निकायों के पुनर्निर्माण का काम पूरा करने के लिए अधिकारियों को 2 साल का समय दिया है. जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को इस परियोजनाओं में कई पहलुओं को शामिल करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि झीलों को साल भर साफ पानी से भरा रहना चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इन जल निकायों के माध्यम से अधिकतम भूजल पुनर्भरण हो. कीचड़ और सूखे कूड़े को साफ किया जाना चाहिए. यह सारे काम पर्यावरण के अनुसार किए जाने चाहिए. झीलों के उचित निर्माण के साथ उनको लोगों के लिए सार्वजनिक स्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा.
सभी झीलों को बनाया जाएगा सुंदर
दिल्ली सरकार सभी झीलों को सुंदर बनाने की दिशा में भी काम कर रही है. मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम विशेषज्ञों की मदद लेंगे. झीलों को इस तरह से पुनर्विकसित किया जाना चाहिए कि वे लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनें. उन्होंने अधिकारियों को जलाशयों और झीलों के पास अतिरिक्त जल के पुनर्भरण के लिए कुएं बनाने के भी निर्देश दिए, ताकि उनकी क्षमता बढ़ाई जा सके. उन्होंने आगे निर्देश दिए कि बारिश का साफ पानी ले जाने वाले नालों को आसपास के जलाशयों और झीलों से जोड़ा जाए.
दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) 45 जल निकायों के पुनर्निर्माण पर काम कर रहा है, जिसका काम इस साल के अंत तक पूरा कर दिया जाएगा. विभाग को इन जल निकायों को ठीक करने में काफी पेचीदगियों का सामना करना पड़ा था, क्योंकि इनमें पास के क्षेत्र से सीधा सीवेज गिरता था. इससे निपटने के लिए साइट की आवश्यकता के अनुसार विभाग द्वारा प्रयास किए गए, जिसके तहत डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (डी-एसटीपी) बनाए गए हैं. दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) रीसाइकल किए गए पानी का उपयोग करके 22 झीलों और हरित क्षेत्रों का कायाकल्प कर रहा है.
यह पानी या तो नए एसटीपी बनाकर या फिर मौजूदा एसटीपी से प्राप्त किया जाएगा. काम में तेजी लाने के लिए जल मंत्री ने दिल्ली सरकार के दो इंजीनियरिंग विभागों के बीच जिम्मेदारियों को विभाजित किया है, जो पूरी परियोजना में शामिल होंगे. दिल्ली जल बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि सभी झील और जल निकाय एसटीपी से रीसाइकल किए गए पानी से पूरे साल भरे रहें, जबकि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग भू-निर्माण और लोगों के लिए सार्वजनिक स्थान बनाने पर काम करेगा.
जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि तिमारपुर ऑक्सीडेशन झील और रोहिणी झील का कायाकल्प हमारी दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से हैं. इन झीलों को उम्मीदों के अनुरूप रूपांतरित किया जाना चाहिए और योजना को साकार करने के लिए अधिकारियों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि तिमारपुर झील 38 एकड़ में फैली है, जबकि रोहिणी झील 40 एकड़ में फैली हुई है.
जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि बाढ़ और बारिश में जल के संरक्षण के लिए झीलें एक महत्वपूर्ण बफर का काम करती हैं. एक अन्य बैठक में जल मंत्री ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी स्टॉर्म ड्रेन को आसपास के जल निकायों और झीलों से जोड़ दें. यह न केवल मौजूदा स्टॉर्म ड्रेन से भार को कम करेगा, बल्कि अचानक बारिश आने की स्थिति में छोटी से छोटी जगहों से पानी को जमा होने से भी रोकेगा.
सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अंतर-विभागीय समन्वय के अभाव के कारण झीलों के पुनर्विकास कार्य में कोई भी देरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे मामले जिनमें अन्य विभाग अपना काम ठीक से नहीं कर रहा है, उसे तुरंत संज्ञान में लाया जाए, ताकि समय पर काम पूरा किया जा सके. जल मंत्री ने 22 झीलों और 200 जल निकायों के पुनर्विकास कार्य को पूरा करने के लिए विभाग को 2 साल का समय दिया है.