Railway Ticket Transfer Rule: आजकल क्रिएटिविटी का जमाना है. अगर किसी को कोई जानकारी देनी हो तो उसे रचनात्मक तरीके से बताया जाए तो उसे लंबे समय तक याद रखा जाता है. इसी का फायदा उठाते हुए भारतीय रेलवे ने यात्रियों को एक बड़ी सीख भी दी है.

21 अप्रैल को रिलीज हुई सलमान खान की फिल्म ‘किसी का भाई, किसी की जान’ के टाइटल से प्रभावित होकर वेस्टर्न रेलवे ने यात्रियों को रेलवे के एक बेहद जरूरी नियम की जानकारी दी है. फिल्म के टाइटल की तर्ज पर ‘किसी का टिकट, किसी का सफर’ (kisi ka ticket kisi ka safar) स्लोगन के जरिए रेलवे ने यात्रियों को दूसरे व्यक्ति के नाम से जारी टिकट पर यात्रा के नियमों की जानकारी दी है.

क्या हैं टिकट ट्रांसफर के नियम ? (kisi ka ticket kisi ka safar)

इस पूरे नियम को जानने से पहले सबसे पहले यह जान लें कि आप टिकट सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर ही ट्रांसफर करा सकेंगे न कि अपने किसी दोस्त या अनजान व्यक्ति के पास. आइए अब जानते हैं कि क्या हैं टिकट ट्रांसफर के नियम…

अगर आप अपना टिकट परिवार के किसी सदस्य के नाम ट्रांसफर करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपका टिकट कंफर्म होना चाहिए. वेटिंग लिस्ट या आरएसी टिकट ट्रांसफर नहीं कर सकते, चाहे ऑनलाइन या ऑफलाइन बुक किया गया हो.

यहां तक कि परिवार के सदस्यों के बीच भी आप केवल अपने माता-पिता, भाई या बहन, पति या पत्नी और बेटे या बेटी को टिकट ट्रांसफर कर सकते हैं, किसी अन्य रिश्तेदार को नहीं.

यात्री टिकट अनुरोध को ट्रेन के प्रस्थान के 24 घंटे पहले प्रस्तुत करना होगा.

टिकट कैसे ट्रांसफर करें (kisi ka ticket kisi ka safar)

आपको अपने कन्फर्म टिकट का प्रिंटआउट लेना होगा और रिजर्वेशन काउंटर पर जाना होगा. आपको उस व्यक्ति के आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड के साथ एक आवेदन जमा करना होगा जिसके नाम पर आप टिकट ट्रांसफर करना चाहते हैं.

कंफर्म टिकट रखने वाले और जिसके नाम से टिकट ट्रांसफर किया जाना है, दोनों को अपने रिश्ते का सबूत देना होगा. इसके बाद दोनों यात्रियों का पहचान पत्र और टिकट की कॉपी नजदीकी टिकट काउंटर पर मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक के पास जमा करनी होगी.