जन्म कुंडली : धन के बिना जीवनयापन करना दूभर है। यदि आपकी कुंडली में धनकारक योग हैं तो योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशाओं में धन की प्राप्ति कराते हैं। आप अपनी कुंडली को सामने रखकर यहां अंकित धनकारक योगों को खोजिए, यदि ये हैं और योगकारक ग्रहों की दशा भी आ रही है तो आपको धनलाभ अवश्य होगा।
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ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में कई योग के बारे में बताया गया है. इन्हीं में एक है ‘धन योग’. यह ऐसा योग होता है जो आपको करोड़पति बना सकता है.
जानते हैं कुंडली में कैसे और कब बनता है धन योग
- अगर आपकी जन्म कुंडली में मंगल चौथे, सूर्य पांचवे और गुरु ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो इससे धनवान बनने के योग बनते हैं. ऐसे योग वाले लोग जिस काम से जुड़े होते हैं, उन्हें उससे खूब धनलाभ होता है.
- जब सूर्य ग्यारहवें और दसवें भाव में हो, मंगल चौथे और पांचवे भाव में हो तब भी व्यक्ति धनवान बन सकता है.
- अति धनलाभ योग-लग्नेश दूसरे स्थित हो, धनेश ग्याहरवें स्थित हो और एकादशेश लग्न में स्थित हो तो जातक कम प्रयासों में आसानी से बहुत धन अर्जित करता है।
- बहु धनलाभ योग-लग्नेश दूसरे भाव में और द्वितीयेश लग्न में स्थित हो या ये दोनों ग्रह शुभ भाव में एक साथ बैठे हों तो जातक बहुत धन अर्जित करता है।
- आजीवन धनलाभ योग-एक से अधिक ग्रह दूसरे भाव में स्थित हों और द्वितीयेश एवं गुरु बली हो या उच्च या स्वराशि में हो तो जातक जीवनपर्यन्त धनअर्जित करता रहता है।
- धन प्राप्ति योग-द्वितीयेश एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो तो जातक बहुत धन कमाता है।
- विष्णु योग-नवमेश, दशमेश और नवांश कुण्डली का नवमेश दूसरे भाव में स्थित हो तो यह योग जातक को बहुत धन अर्जित कराता है।
- वासुमति योग-गुरु, शुक्र, बुध व चन्द्र लग्न से तीसरे, छठे, दसवें एवं एकादश भाव में स्थित हों तो जातक अत्यधिक धनी होता है।
- धनयोग-यदि चन्द्र व मंगल की युति शुभराशि में हो तो जातक बहुत धन कमाता है।
- शुभकर्तरी योग-शुभग्रह दूसरे एवं बारहवें स्थित हों तो जातक बहुत धन पाकर प्रसन्नता सहित अनेक तरह के भोग भोगता है