रायपुर. जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न ही रोटी अर्थात रोजगार है, तब हम ऐसी शिक्षा को श्रेष्ठ कह सकते हैं जो इस पहले मोर्चे पर ही असफल साबित हो जाए. निःसंदेह इसका जवाब न में ही हो सकता है. इस आधार और कसौटी पर तौलें तो डिग्री प्राप्त करने से ईतर स्वावलंबन परक शिक्षा की दरकार है. जिस समय नवीन अन्वेषण का समय है. अतः शिक्षा के क्षेत्र में भी कुछ नया करते हुए ऐसी शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए जिससे डिग्री या ज्ञान के साथ-साथ समर्थवान बन सके.

इस वक्त की शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार का स्वरूप दिया जाए, जिससे हर मानव चाहे वह छोटा बच्चा हो, चाहे घरेलू महिला या कामकाजी कोई व्यक्ति, सभी को अपने हिस्से की सद्भावना और सहिष्णुता के साथ उसकी जरूरी आवश्यकता को आसानी से पूरा करने की योग्यता दी जा सके. इसके लिए जब जन्मकुंडली पर नजर डालें तो तृतीयेश, पंचमेश भाग्येश, एकादशेश की स्थिति इसके साथ गुरू, सूर्य, बुध और शनि को अनुकूल करते हुए अनुशासन, दैनिकचर्या और नियमितता के साथ एकाग्रता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.

इसके अलावा राहु जैसे काल्पनिक ग्रह जो कि आज के युग की मांग है को अनुकूल करते हुए डिग्री प्राप्त करने के अलावा व्यक्ति की रूचि और व्यक्तित्व को नजर में रखते हुए आजीविका के साधन तैयार करने का प्रयास करना चाहिए. कालपुरुष की कुंडली में कर्म और आय का साधन शनि होता है. इसलिए रोजगार के लिए शनि की शांति करना, शनि के मन्त्र जाप करना और शनि की वास्तु का दान करना चाहिए. इसमे ॐ शं शनिश्चराय नम: का इक माला जाप करना तिल का दान करना और शनिवार का व्रत करना चाहिए.