शिखिल ब्यौहार, भोपाल। राजधानी की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति बनती है। फिर बात अवैध निर्माणों की हो या मास्टर प्लान के विवादित प्रावधानों की। लेकिन बड़ा तालाब का भविष्य आखिर कैचमेंट पर क्यों निर्भर है इसका खुलासा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन मतलब इसरो की रिपोर्ट करती है। शायद यह जानकर आपको आश्चर्य हो कि बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में कुल 69 वाटर बॉडी मौजूद हैं। जो कोलांस नदी के बाद बड़े तालाब को जीवित रखने की अहम भूमिका निभा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि यह अब दम तोड़ने की कगार पर हैं।

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दरअसल, यह रिपोर्ट इसरो ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तैयार की थी। साल 2007 में तैयार की गई वेटलैंड रिपोर्ट में देश में कुल 2 लाख 11 हजार वॉटर बॉडी चिन्हित की गई। साथ ही सेटेलाइट नक्शे पर ही इन्हें चिन्हित किया गया था। इस दौरान भोज वेटलैंड को लेकर भी सर्वे किया। साथ ही तालाब के कैचमेंट में कोलांस नदी की बड़ी वॉटर बॉडी समेत 69 छोटे वेटलैंड चिन्हित किए गए। इसरो ने मध्यप्रदेश के वेटलैंड को लेकर कुल 302 पन्नों की रिपोर्ट भी पेश की थी। संशोधन के बाद प्रस्तावित भोपाल मास्टर प्लान 2031 की एक आपत्ति में इसरो की इस रिपोर्ट के साथ कैचमेंट एरिया में निर्माण संबंधित गतिविधियों पर प्रतिबंध का सुझाव भी दिया गया है।

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12 वर्ग किमी में 69 वेटलैंड, रिपोर्ट में संरक्षण की कही बात

इसरो की मध्यप्रदेश वेटलैंड रिपोर्ट में सबसे बड़ा भाग भोज वेजलैंड का है। इसमें बताया गया कि तालाब के कैचमेंट एरिया में कुल 12 वर्ग किलोमीटर दायरे में 69 वाटर बॉडी हैं। वेटलैंड की सूची में कुल छोटे-छोटे 59 वाटर टैंक और वाटर पाउंड को बताया गया। बारिश में कुल छह कंटूर क्षेत्र से नदी नुमा बड़ी धाराओं का जिक्र किया गया है। जो बड़े क्षेत्र की छोटी-छोटी धाराओं से रेन वाटर को कोलांस नदी और बड़े तालाब तक पानी पहुंच रहे हैं। रिपोर्ट में इसके संरक्षण पर जोर दिया गया है। यह बात भी साफ कही गई है ऐसी किसी भी प्रकार की गतिविधि न की जाए जिससे जल अवरोध, कंटूर या इनके प्राकृतिक क्षेत्रफल में छेड़छाड़ हो। यह बड़ा तालाब के लिए घातक साबित होगा। दरअसल, यह अब साल दर साल सिमटते जा रहे हैं।

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सालों से जिम्मेदारों की अनदेखी से कैचमेंट बर्बाद

बड़ा तालाब कैचमेंट को शासन-प्रशासन की अनदेखी ने बर्बाद किया। कैचमेंट क्षेत्र के रातीबड़, नीलबड़, बिसनखेड़ी, गोरा गांव, आमखेड़ा समेत कई क्षेत्रों में नियम विरुद्ध निर्माण हुए। आश्चर्य की बात तो यह भी कि राजधानी में ही अवैध कॉलोनियों का सबसे बड़ा जाल भी कैचमेंट एरिया में है। नगर निगम, जिला प्रशासन, टीएंडीपी में कई शिकायतें दर्ज होने के बाद भी अफसर कैचमेंट की बर्बादी को रोकने में विफल रहे। यहां कई इलाकों में जलभराव क्षेत्र पर ही कब्जा किया गया।

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संरक्षण के प्रावधानों का विरोध, बिल्डरों ने किया निवेश

तीन साल पहले शहरी विकास का कम और बड़े स्तर पर की गई गड़बड़ियों का भोपाल मास्टर प्लान 2031 के प्रारूप का प्रकाशन हुआ था। तालाब की बर्बादी और रसूखदारों को फायदे के लिए प्लान में प्रावधान किए गए। मई 2020 में इन प्रावधानों के विपरीत छह सौ से अधिक आपत्तियां दर्ज कराई गई। लिहाजा अब सरकार ने संशोधन कर आबादी विस्तार के साथ गतिविधियों को नियंत्रित करने संबंधित प्रावधान किए। इन तीन सालों में कैचमेंट एरिया में रसूखदारों और बिल्डर ने जमीन को खरीदने में बड़ा निवेश किया। लिहाजा बिल्डरों ने ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और राजनीतिक दल के साथ संशोधित प्रावधानों का विरोध किया।

एक्सपर्ट व्यू

अर्बन एक्सपर्ट कमल राठी का कहना है कि कैचमेंट एरिया सिर्फ वॉटर फ्लो या कंटूर एरिया नहीं है। बल्कि यह एक प्रक्रिया के तहत पानी शुद्धिकरण का काम भी करता है। कई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। बड़ा तालाब के लिए 69 वेटलैंड जीवन रेखा ही हैं। दुर्भाग्य है कि कैचमेंट को बर्बाद किया गया। अब मास्टर प्लान में संशोधन किया गया है। सख्ती के साथ प्रावधान को लागू कर अमल करने की जरूरत है। तभी विश्व धरोहर और अमृत धरोहर बड़ा तालाब बच पाएगा।

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