श्याम अग्रवाल, खरोरा। हीमोफीलिया बीमारी से निपटने के लिए प्रदेश में कोई व्यवस्था नहीं थी, जिससे इस रोग से ग्रसित मरीजों को पड़ोसी राज्य पर निर्भर होना पड़ रहा था. महंगा होने के कारण इलाज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की पहुंच से कोसों दूर थे, क्योंकि एक बार में दवा पर करीब हर माह 50 हजार से 1 लाख रुपए खर्च होते थे, दवाएं भी महंगी हैं. लेकिन lalluram.com ने लोगों की इस समस्या को गंभीरता से उठाया. अब इसका इलाज रायपुर मेकाहारा में भी होगा. लोगों को वैक्सीन मिलने लगी.

दरअसल कुछ दिन पहले रायगढ़ जिले के पुसौर निवासी राहुल यादव जो हीमोफीलिया से ग्रस्त था, उसकी मौत मात्र 18 साल की उम्र में हो गई. रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में उसे फैक्टर (प्लाज्मा से बनने वाला इंजेक्शन यानी एक तरह की वैक्सीन) नहीं मिल पाया. वहीं रायपुर जिले के धरसींवा विधानसभा के परसतराई गांव के शिवमंगल साहू के 6 माह, 4 वर्ष व 7 वर्ष के तीन बच्चों का पिछले 2 वर्ष के अंदर इसी बीमारी से निधन हो गया. उन्हें भी फैक्टर नहीं मिल पाया. उनका एक 8 वर्ष का बालक बचा है, जो खुद भी इस बीमारी से पीड़ित है. बच्चों के इलाज के लिए शिवमंगल को 14 एकड़ खेत तक बेचना पड़ा था. अब शिवमंगल साहू ने हीमोफीलिया सोसायटी अध्यक्ष अशोक दुबे और lalluram.com परिवार का धन्यवाद दिया.

20 नए मरीज और मिले

हीमोफीलिया सोसायटी अध्यक्ष अशोक दुबे ने बताया कि खबर प्रकाशित होने के बाद खबर पढ़कर 20 नए मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. अब उनका भी इलाज मेकाहारा में हो पाएगा. वही हीमोफीलिया सोसायटी अध्यक्ष अशोक दुबे ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव और lalluram.com परिवार का आभार व्यक्त किया है.

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