अमृतांशी जोशी,भोपाल। मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखा है. गोविंद सिंह ने जल संसाधन विभाग पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. विभाग ने गुणवत्ताहीन कार्य किया है. भ्रष्टाचार और अनियमितता की जांच किए जाने की मांग की है. गोविंद सिंह ने की मांग प्रदेश के बाहर के IIT विशेषज्ञों से जांच करवाई जाए.

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में जल संसाधन विभाग के अन्तर्गत लगभग 877 करोड़ से बनाए गए बांधों की ई-टेण्डरिंग में अनियमितता की गई. जिसकी जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ई.ओ.डब्ल्यू.) द्वारा की जा रही है, लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी और निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है.

चंबल माइक्रो सिंचाई योजना श्योपुर

इस योजना के अन्तर्गत नवंबर 2021 तक लगभग 13000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई किए जाने का लक्ष्य था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने स्वीकृत डिजाइन के अनुरूप पाईप लाईन नहीं डाली गई. जिससे उक्त योजना से एक हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई नहीं हो पाई, जबकि इस पर अभी तक 150 करोड़ रूपए व्यय किए जा चुके हैं. विधानसभा प्रश्न के उत्तर में भी मुख्य अभियंता यमुना कछार ग्वालियर आर.पी.झा द्वारा असत्य जानकारी दी गई कि किसानों द्वारा पानी की मांग ही नहीं की गई. उक्त योजना में अधिकारियों द्वारा निर्माण एजेन्सी से मिलभगत कर 80 प्रतिशत राशि बिना कार्य के ही व्यय कर करोड़ों रूपए का भ्रष्टाचार किया गया.

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विगत वर्षों में यमुना कछार जल संसाधन विभाग ग्वालियर के अन्तर्गत जल संसाधन संभाग गोहद जिला भिण्ड और अन्य संभागों में नहरों में पानी छोड़ने के पूर्व सिल्ट व घास की सफाई व लाइनिंग के नाम पर करोड़ों रूपए का फर्जी भुगतान प्रतिवर्ष किया जाता है, जबकि नहरों की सफाई का कार्य प्रतिवर्ष स्थानीय कृषकों द्वारा अपने स्वयं के ट्रेक्टर व साधनों से नहरों की सफाई की गई.

उद्वहन सिंचाई योजना कनेरा जिला भिण्ड

भिण्ड जिले में उक्त योजना का कार्य कनेरा गांव में चंबल नदी पर घड़ियाल सेंचुरी के अन्तर्गत वन विभाग भारत सरकार की अनुमति के बिना ही अधिकारियों द्वारा कार्य एवं पाईप के नाम लगभग 100 करोड़ व्यय किए गए. लेकिन मौके पर कोई कार्य नहीं किया गया. एक भी पाईप नहीं पाया गया.

हरसी हाई लेबल नहर संभाग सहित समूचे प्रदेश में प्रचार-प्रसार के नाम पर बिना उपयोगिता के हजारों की संख्या में साइन बोर्ड लगाए गए. साइन बोर्ड के लिए 250000-300000 रूपए भुगतान किया गया, जबकि एक साइन बोर्ड का मूल्य 40000 है. इस प्रकार नहरों के निर्माण के लिए शासन द्वारा जो राशि शासन द्वारा आवंटित की गई थी. उसे विभागीय अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों से मिलीभगत कर नहर निर्माण कराकर मात्र प्रचार-प्रसार पर करोड़ रूपए व्यय कर व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया.

बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक एक दर्जन से अधिक बांध पहली बरसात में ही भ्रष्टाचार के शिकार होकर ध्वस्त हो गए. जिसमें भीतरी मुटमूरू, सिरसवाह, बिलखुरा, पिपरिया बांध मुख्य रूप से बह गए परन्तु शासन द्वारा एजेन्सियों और जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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मुरैना जिले में अम्बाह तहसील में रूपहेटी स्टाप डेम कम काजवे 890 लाख रूपए की जगह 1224 लाख रूपए तत्कालीन कार्यपालन यंत्री द्वारा व्यय कर दिए. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई न कर मात्र चेतवानी देकर मामले को रफादफा कर दिया गया.

करधन तालाब दबोह जिला भिण्ड की मरम्मत एवं सुधार के लिए शासन से स्वीकृत राशि से मौके पर कार्य कराए बिना लाखों रूपए का फर्जी भुगतान कर भ्रष्टाचार किया गया.

धार जिले के अन्तर्गत हाल ही में 304 करोड़ लागत से निर्माणाधीन कारम बांध भरने के पूर्व ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. इससे 18 गांव के ग्रामवासियों को 05 दिन घरबार छोड़कर जंगल में शरण लेनी पड़ी. निर्माण एजेन्सी द्वारा जो भी कार्य बांध पर किया जा रहा था उसकी गुणवत्ता अत्यंत निम्न स्तर की होने एवं निर्धारित मानकों के बिना कार्य कराए जाने से करोड़ों रूपए की शासन को क्षति पहुंची है. उक्त बांध के ढह जाने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों एवं संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई.

नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लिखे पत्र के जरिए अनुरोध किया है कि उपरोक्त निर्माण कार्यों में की गई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच प्रदेश से बाहर के आई.आई.टी. विशेषज्ञों से कराई जाए.

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