सुप्रिया पांडेय, रायपुर। लिवर की बीमारी को आमतौर पर लाइलाज मान लिया जाता है. लेकिन नई तकनीक से स्थितियां बदल रही हैं. राजधानी के रामकृष्ण केयर अस्पताल में बीते एक साल में छह लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं. जिसमें 2 माह की बच्चियों का भी लिवर ट्रांसप्लांट शामिल है.

रामकृष्ण अस्पताल के मेडिकल और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ संदीप दवे ने अस्पताल में अयोजित एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा पूरे मध्य भारत में केवल रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में है. यहां लिवर ट्रांसप्लांट का इलाज विशेषज्ञता और विश्वसनीयता से किया जा रहा है. मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई जैसे महानगरो के चक्कर लगाने पड़ते थे. लेकिन इस लाइलाज बीमारी का इलाज अब राज्य में ही संभव है. रामकृष्ण केयर अस्पताल का लक्ष्य है कि लिवर ट्रांसप्लांट, स्पेशलाइज्ड लिवर सर्जरी और पेनक्रियाज के ऑपरेशन सेंटर के रूप में खुद को स्थापित करें.

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लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा जिन दो बच्चियों को मिली है, वे बाइलियरी एट्रिमिया नाम की गंभीर बीमारी से पीड़ित थीं. रामकृष्ण अस्पताल के डॉक्टर ए मिश्रा, डॉ मोहम्मद अब्दुल नईम और उनकी पूरी टीम ने सफलतापूर्वक लिवर का ट्रांसप्लांट किया. विल्सन डिसीज से ग्रसित एक 8 साल का बच्चे की जान उसकी मां ने अपने लिवर के एक हिस्से को डोनेट कर बचाई, इसके अलावा वसा की वजह से लिवर के ठीक से काम नहीं करने की वजह से अस्पताल पहुंचे 50 साल के एक व्यक्ति को उनकी बेटी ने लिवर का एक हिस्सा देकर नया जीवन दिया. रामकृष्ण अस्पताल की ओर से यह सारे ऑपरेशन मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना और डॉक्टर खूबचंद बघेल विशेष स्वास्थ्य योजना से किए गए.

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