कुमार इंदर, जबलपुर. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीट (Lok Sabha Election 2024) में से एक जबलपुर की लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिए हैं. बीजेपी ने आशीष दुबे को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Candidate) का उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने अभी तक कोई भी कैंडिडेट डिक्लेयर नहीं किया है. कांग्रेस को अब तक समझ में नहीं आ रहा है कि पार्टी किसे चुनाव लड़ाए. हालांकि इस तरह के माहौल को देखते हुए अंदर की बात यह है कि कोई भी कांग्रेस का दिग्गज या समझदार नेता कांग्रेस की टिकट से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहता. उसके पीछे कारण भी साफ है कि कांग्रेस के नेता जानते हैं कि इस माहौल में जीतना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी है और यही वजह है कि समझदार नेता कांग्रेस की टिकट लेकर अपना पैसा और वक्त दोनों बर्बाद नहीं करना चाहते हैं.
1996 से अबतक BJP का कब्जा
जबलपुर लोकसभा सीट में 1996 से लेकर अब तक बीजेपी का ही कब्जा है. 1996 और 98 में भाजपा से बाबूलाल परांजपे यहां से लोकसभा के सांसद बने थे. उसके बाद 1999 में जय श्री बनर्जी यानी कि वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की सास यहां से सांसद चुनकर आई थीं और 2004 से लेकर 2024 तक यहां पर भाजपा सरकार में वर्तमान में लोक निर्माण मंत्री और जबलपुर पश्चिम से विधायक राकेश सिंह लगातार चार बार से सांसद का चुनाव जीतते आ रहे हैं.
1952 से अब तक कुछ ऐसा रहा गणित
सबसे पहले 1952 से 1971 तक जबलपुर लोकस्भा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. सबसे पहले 1952 में सुशील कुमार पटेरिया कांग्रेस से सांसद चुनकर आए थे. उसके बाद मंगरु गनु उइके कांग्रेस के सांसद चुने गए. 1957 से लेकर 1971 तक लगातार चार बार सेठ गोविंद दास सांसद रहे. 1974 शरद यादव ने भारतीय लोकदल से सांसद बने दोबारा 1977 में फिर से शरद यादव जनता पार्टी से सांसद चुनकर आए.
1980-84 और 91 में कांग्रेस ने जीती थी सीट
1980 में मुंदर शर्मा कांग्रेस आई से सांसद चुनकर आए थे, 1983 में बाबूराव परांजपे बीजेपी की टिकट से सांसद चुनकर आए. 1984 में अजय नारायण मुश्रान, कांग्रेस से सांसद चुनकर आए. 1989 में बाबूराव परांजपे दोबारा बीजेपी की टिकट से सांसद चुनकर आए. 1991 में श्रवण कुमार पटेल कांग्रेस से चुनाव जीते, 2004 से लेकर अब तक लगातर 4 बार से बीजेपी का कब्ज़ा बरकरार है.
वर्तमान मंत्री 4 बार से रहे लगातार सांसद
पिछले 4 बार से जबलपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से राकेश सिंह जीत हासिल करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार के विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने उन्हें जबलपुर पश्चिम से उम्मीदवार बनाया और जीत के बाद उन्हें मोहन यादव कैबिनेट में लोक निर्माण मंत्री का पद दिया गया है. जिसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि जबलपुर लोकसभा सीट से भाजपा किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है और हुआ भी ऐसा ही.
लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा सीटें हैं?
जबलपुर लोकसभा सीट की बात करें तो इसमें 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन सीटों में पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पश्चिम, पनागर और सिहोरा शामिल हैं.
जबलपुर लोकसभा सीट के कुल मतदाता
2011 की जनगणना के अनुसार, जबलपुर की कुल जनसंख्या 25,41,797 है, जिसमें से 59.74% शहरी और 40.26% ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. वहीं,जबलपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाता करीब 17 लाख (17,11,683 ) हैं. बता दें कि इन मतदाताओं में, 8,97,949 पुरुष और 8,13,734 महिलाएं शामिल हैं. अनुसूचित जाति की जनसंख्या 14.3% है, जबकि अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 15.04% है.
2019 के लोकसभा चुनाव का ऐसा था रिजल्ट
2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने जबलपुर लोकसभा सीट पर निर्णायक जीत हासिल की थी. भाजपा उम्मीदवार राकेश सिंह को 8 लाख 26 हज़ार 454 वोट मिले थे, जो कुल वोटों का 65.41% था. दूसरी ओर, कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा को 3 लाख 71 हजार 710 वोट मिले, जो कुल वोटों का 29.42% था. चुनाव में राकेश सिंह को 4,54,744 वोटों से जीत मिली थी. 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 69.46% रहा था.
विधानसभा चुनाव में शहर से कांग्रेस का सफाया
हाल ही में संपन्न हुए एमपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जबलपुर में शानदार प्रदर्शन किया. पार्टी ने 8 में से 7 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस का एकमात्र उम्मीदवार जबलपुर पूर्व से विधायक का चुनाव जीता.
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