रेणु अग्रवाल, धार। Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) को लेकर शंखनाद हो चुका है। चुनावी तारीखों की घोषणा होते ही सियासी दलों के प्रत्याशी (Candidate) सीधा मुकाबला करने को तैयार हैं। धार लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। इस सीट पर बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों पार्टियों ने अपने प्रत्याशी  घोषित कर दिए है। बीजेपी ने वर्तमान सांसद छतर सिंह दरबार (Chhatar Singh Darbar) का टिकट काटकर पूर्व सांसद सावित्री ठाकुर (Savitri Thakur) को प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है। धर्मपुरी क्षेत्र के काली किराय की रहने वाली भाजपा की सावित्री ठाकुर का मनावर के रहने वाले कांग्रेस के राधेश्याम मुवेल (Radheshyam Muvel) से मुकाबला होगा।

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Lok Sabha Election 2024: पहले भी रह चुकी हैं सांसद

सावित्री ठाकुर पर बीजेपी ने एक बार फिर भरोसा जताया है। वे 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़कर सांसद बनी थी। सावित्री ने वर्तमान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को चुनाव में हराया था। इसके बाद 2019 में सावित्री ठाकुर का टिकट काटकर भाजपा ने छतर सिंह दरबार को प्रत्याशी बनाया था। जिसमे दरबार चुनाव जीते थे। अब 2024 में एक बार फिर दरबार का टिकट काटकर भाजपा ने सावित्री पर भरोसा जताया है।

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कौन हैं सावित्री ठाकुर ?

सावित्री ठाकुर ने हायर सेकेंडरी तक शिक्षा प्राप्त की है। 2004 से 2009 तक वे जिला पंचायत अध्यक्ष रही। 2013 में कृषि उपज मंडी की डायरेक्टर बनी। वर्तमान में आदिवासी महिला विकास परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री व भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्य हैं। 2019 में टिकट कटने के बाद भी सावित्री पूरे जिले में सक्रिय रही तथा गुटबाजी से कोसो दूर भी रही।

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कांग्रेस के राधे श्याम मुवेल हैं युवा चेहरा 

बीजेपी ने धार सीट से जहां अनुभवी उम्मीदवार को प्रत्याशी बनाया है। वहीं दूसरी और कांग्रेस ने युवा नेता राधेश्याम मुवेल पर विश्वास जताया है। राधेश्याम को “राधे” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट तक शिक्षा ग्रहण की है। वे वर्तमान में जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व मध्य प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष भी है। मुवेल युवक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष व प्रदेश के सचिव रह चुके हैं। वे 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी के चुनावी रणनीति तैयार करने वाली टीम में शामिल थे। धार में दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशी घोषित होने के बाद राजनीति का पारा बढ़ा हुआ रहेगा।

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धार का इतिहास

धार लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1967  में हुआ था। इसमें जिले की 7 विधानसभा और एक इंदौर जिले की महू विधानसभा को एक कर दिया गया है। जिले की सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धरमपुरी, धार , बदनावर, और डॉक्टर अंबेडकर नगर महू है।

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कुल मतदाता

धार  महू जिले की 7 विधानसभा में 19 लाख 46 हजार 627 मतदाता हैं। इसमें 9 लाख 75 हजार 437 पुरुष मतदाता और 9 लाख 71 हजार 145 महिला मतदाता हैं। यहां लिंगानुपात की बात की जाए तो 1000 पुरुषों पर 999 महिलाएं हैं। महू का अनुपात देखा जाए तो यहां 1000 पुरुषो पर 975 महिलाएं हैं। वहीं थर्ड जेंडर की संख्या 45 है। 

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कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी ने मारी बाजी  

धार लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। धीरे-धीरे भाजपा यहां पर अपनी पकड़ बनाती गई। लोकसभा चुनाव में पार्टी भी वोटर के मूड को भाप नहीं पाई है। 2004 लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा का कमल खिला तो अगले लोकसभा चुनाव यानी 2009 में कांग्रेस ने बाजी मारी। फिर 2014 की चुनाव में यहां पर भाजपा ने यह सीट हथिया ली ।रोजगार का मुद्दा हो या पलायन का मुद्दा या फिर पानी का वादा या रेलवे लाइन की सौगात देने नर्मदा का पानी का लॉलीपॉप कृषि कॉलेज इंजीनियरिंग कॉलेज,रोजगार यह मुद्दे हमेशा गरमाए रहते हैं। वही भोजशाला हर चुनाव में मुद्दा बना ही रहता है।

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 पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया होने के बाद भी बाहरी लोगों को रोजगार देने व स्थानीय को रोजगार नहीं मिलने का मुद्दा बना रहता है। बदनावर ने के तिलगारा में पीएम मित्र पार्क आने वाला है। इससे रोजगार मिलने की बात कही जा रही है। वहीं धार जिले के सरदारपुर के समीप हातोद में भी इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना की गई है। लेकिन अभी तक वहां कछुए की गति से ही काम हो रहा है। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना दूर की बात है।

इतिहास के आईने में देखते हैं धार लोकसभा सीट पर वोटर का कैसा है मिजाज

धार लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था। यह सीट अनुसूचित जनजाति की उम्मीदवार के लिए आरक्षित है ।
1967 के पहले चुनाव में भारतीय जनसंघ के भारत सिंह को यहां से जीत मिली।
इसके बाद दो चुनाव 1971,1977  में भी भारत सिंह ने ही जीत का झंडा गाड़ा।
1980 में कांग्रेस के फतेह भानु सिंह सोलंकी ने इस सीट पर जीत दर्ज की।

1984 कांग्रेस के प्रताप सिंह बघेल ने जीत दर्ज की।
1989 में कांग्रेस के प्रत्याशी सूरज भानु सिंह सोलंकी ने जीत दर्ज की।

तीन चुनाव तक लोकसभा सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा ।
1991 में हुए चुनाव में भी कांग्रेस के सूरजभान सिंह सोलंकी ने जीत दर्ज की।
1996 के चुनाव में बीजेपी के छतर सिंह दरबार ने कांग्रेस के सूरजभान सिंह सोलंकी को हराया।
सूरज भानु सिंह सोलंकी 1989 में 1991 के चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं।
बीजेपी ने यहां पर 1996 में पहली बार जीत दर्ज की  थी।
1998 में यहां पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा कांग्रेस के गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी यहां के सांसद बने।
1999 में गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी जो के कांग्रेस के प्रत्याशी थे उन्होंने जीत दर्ज की।
1989, 99 हारने के बाद बीजेपी ने इस सीट पर 2004 में फिर जीत हासिल की। दूसरी बार छतर सिंह दरबार जीत हासिल करने में कामयाब रहे।
2009 में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की और गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी चुनाव जीते आउट बीजेपी के मुकाम सिंह किराडे को 20661 वोट से हराया।
2014 में मोदी लहर में बीजेपी ने सावित्री ठाकुर को मैदान में उतारा जिसके बाद रिकॉर्ड तोड़ मतों से सावित्री ठाकुर ने जीत दर्ज की और कांग्रेस के उमंग सिंगार को 1,04 ,328 वोट से हराया।
2014 में  लोकसभा भारतीय जनता पार्टी ने अपना कब्जा इस सीट पर किया सावित्री ठाकुर यहां से विजयी हुई।

2018 की विधानसभा में कांग्रेस यहां पर मजबूती से खड़ी रही। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के छतर सिंह दरबार विजयी हुए। इस चुनाव में छतर सिंह दरबार ने कांग्रेस के दिनेश गिरवाल को 1 लाख 56 हजार 029 मतों से जीत दर्ज की थी। वहीं 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पांच सीट और भाजपा को दो सीट मिली थी। धार जिले की 6 विधानसभा और एक इंदौर जिले की महू विधानसभा को एक कर किया गया है। इस सीट पर कभी बीजेपी का तो कभी कांग्रेस का कब्जा रहा है 2024 में देखना होगा कि इस सीट पर किसका सिक्का चलता है।

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