अमित पवार, बैतूल। बैतूल लोकसभा क्षेत्र का राजनैतिक इतिहास नवंबर 1956 को जब जिला बनाया गया था उस समय बैतूल की कुल आबादी तकरीबन 40 हजार थी। वर्ष 2023 में यहां की आबादी बढ़कर 17 लाख हो चुकी है। बैतूल जिले की पांच विधानसभा, हरदा जिले की 2 और खंडवा जिले की एक विधानसभा सीट को मिलाकर इस लोकसभा क्षेत्र का निर्माण किया गया है।

इस लोकसभा में बैतूल जिले की बैतूल, मुलताई, आमला, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही विधानसभा शामिल है। साथ ही हरदा जिले की दो सीट हरदा, टिमरनी और खंडवा जिले की एक सीट हरसूद विधानसभा शामिल है। आजादी के बाद से अब तक इस लोकसभा में 16 सांसदो ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। जिसमें 1 बार भारतीय लोक दल के उम्मीदवार, 6 बार इंडियन नेशनल काग्रेस और 9 बार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ने लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया है।

1996 से बीजेपी का कब्जा

बीते 8 चुनावों कि अगर बात कि जाय तो यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार अब तक इस सीट पर काबिज है। जिसमें से 1996 से 2007 तक लगातार विजय कुमार खंडेलवाल (मुन्नी भैया) सांसद रहे। उनके देहांत के बाद 2008 में हुए उप चुनाव में मुन्नी भैया के छोटे बेटे हेमंत खंडेलवाल को भाजपा ने चुनावी मैदान में अपना उम्मीदवार बनाकर उतारा और जनता ने भी हेमंत खंडेलवाल को ही चुना।

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वर्ष 2009 के चुनाव के समय लोकसभा और विधानसभा का परिसीमन हुआ तो बैतूल हरदा लोकसभा सीट को आदिवासियों के लिए रिजर्व कर दिया गया। परिसीमन के बाद 2009 में हुए चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार ज्योति धुर्वे को टिकट दी गई और वो भी विजय घोषित हुई। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी ज्योति धुर्वे ने कांग्रेस के प्रत्यासी अजय को हराकर कब्जा बरकरार रखा।

2019 में इस सीट से भाजपा ने दुर्गादास उइके को अपना प्रत्यासी बनाया। दुर्गादास ने कांग्रेस के उम्मीदवार रामू टेकाम को हराकर इस लोकसभा सीट पर भाजपा पार्टी का कब्जा कायम रखा। इस लोकसभा सीट के परिसीमन के पहले बैतूल,आमला, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, मासोद, मुलताई, हरदा, टिमरनी और हरसूद को मिलाकर बनाई गई थी। वर्ष 2009 के चुनाव के पहले किये गए परिसीमन के बाद मासोद विधानसभा को खत्म कर इसका पूरा क्षेत्र मुलताई विधानसभा में सविलय कर दिया गया।

बैतूल की 5 विधानसभा पर बीजेपी के विधायक

इस लोकसभा में विधानसभाओं की बात कि जाय तो चार ऐसी विधानसभा है, जो आदिवासियों के लिए रिजर्व है। एक अनुसूचित जाति के लिए और बाकी तीन विधानसभा सीटे सामान्य लोगों के लिए है। वर्तमान में बैतूल की 5 विधानसभा सीट पर भाजपा पार्टी के विधायक चुने गए हैं।

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मतदाताओं की संख्या

लोकसभा निर्वाचन 2024 को लेकर आयोग के निर्देश पर बैतूल जिला प्रशासन ने तैयारियां लगभग पूरी कर ली। बैतूल संसदीय क्षेत्र 29 में आठ विधानसभा क्षेत्रों में 2355 मतदान केंद्रों पर 18 लाख 86 हजार 155 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जिसमें 9 लाख 62 हजार 256 पुरुष, 9 लाख 23 हजार 862 महिला और 37 अन्य मतदाता शामिल है।

लोकसभा चुनाव 2024 में बैतूल संसदीय क्षेत्र में मुलताई के 2 लाख 31 हजार 354, आमला के 2 लाख 14 हजार 177, बैतूल के 2 लाख 56 हजार 157, घोड़ाडोंगरी के 2 लाख 62 हजार 825, भैंसदेही के 2 लाख 64 हजार 528, टिमरनी के 1 लाख 90 हजार 658, हरदा के 2 लाख 37 हजार 362 और हरसूद विधानसभा क्षेत्र के 2 लाख 28 हजार 294 मतदाता वोट करेंगे। बैतूल कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव के लिए 17 नोडल अधिकारियों की तैनाती की है।

बैतूल लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे

इस क्षेत्र में चाहे विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव हो सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है। दूसरा बड़ा मुद्दा जिले में शासकीय डॉक्टर की कमी है। इस जिले में ऐसा कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं है, जहां बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। जिले के दो बड़े उद्योग बंद होने की कगार पर है। जिनमें पाथाखेड़ा क्षेत्र की कोल माइंस और सारनी का सतपुड़ा थर्मल पावर हाउस शामिल है।

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जिले में दार्शनिक स्थल की अगर बात की जाय तो यहां सूर्य पुत्री मां ताप्ती नदी का उद्गम स्थल, जैन तीर्थ स्थल, मुक्ता गिरी, बालाजी पूरम मंदिर, सारनी में स्थित मठार देव, भोपाली स्थित छोटा महादेव गुफा, कुकरू खामला की हसीन वादियां, खामला गांव में स्थित पवन चक्कियां और जिले के हो चुके पुरातत्व किले जीर्ण शीर्ण अवस्था में अपनी कायाकल्प का इंतजार करते नजर आ रहे है।

डीडी लगाएंगे हैट्रिक या कांग्रेस लहराएगी परचम ?

आम चुनाव 2024 को लेकर राजनैतिक दलों में भी सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा ने बैतूल संसदीय क्षेत्र के लिए वर्तमान सांसद दुर्गादास उईके को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने रामू टेकाम को चुनावी मैदान में उतारा है। अब देखना होगा कि क्या दुर्गादास अपनी जीत की हैट्रिक लगा पाते है या फिर कांग्रेस लंबे समय बाद इस सीट पर अपना परचम लहरा पाएगी। यह तो 4 जून को होने वाली मतगणना के बाद पता चल सकेगा।

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