Loksabha Elections 2024:  दिल्ली. उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट को गांधी परिवार के सबसे मजबूत किलों में से एक माना जाता रहा है लेकिन 25 वर्षों में ऐसा पहली बार होगा जब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव में इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा. वर्ष 1967 में निर्वाचन क्षेत्र बने अमेठी को गांधी परिवार का मजबूत किला माना जाता है और करीब 31 वर्षों तक गांधी परिवार के सदस्यों ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. पिछले आम चुनाव में भाजपा की नेता स्मृति ईरानी कांग्रेस के इस किले को भेदने में सफल रहीं और उन्होंने राहुल गांधी को 55 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी. इस बार राहुल गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ेंगे जबकि गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से चुनाव मैदान में उतारा गया है.

1998 में लगा था पार्टी को झटका

अमेठी सीट पर गांधी परिवार को 1998 में उस समय झटका लगा था, जब राजीव गांधी और सोनिया गांधी के करीबी सतीश शर्मा को भाजपा के संजय सिंह के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था. यह पहला मौका था जब यह सीट गांधी परिवार के हाथ से निकल गई थी. सोनिया गांधी ने 1999 में सिंह को 3 लाख से ज्यादा मतों से हराया.

निर्वाचन आयोग का निर्देश ‘उम्मीदवारों को दो दिन में दें नो ड्यूज सर्टिफिकेट’https://lalluram.com/election-commissions-instructions-to-give-no-dues-certificate-to-candidates-within-two-days/

5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं

अमेठी, उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से एक प्रमुख लोकसभा सीट है, जिसमें पांच विधानसभा क्षेत्र तिलोई, सालोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी आते हैं. पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस, भाजपा और बसपा इस क्षेत्र में तीन मुख्य दलों के रूप में उभरे हैं. अमेठी सीट से सबसे पहले सांसद चुने जाने वाले व्यक्ति थे कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी, जिन्होंने न सिर्फ 1967 में बल्कि 1971 में भी यहां से जीत हासिल की थी. 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था. लेकिन संजय गांधी ने 1980 के आम चुनाव में सिंह को हराकर महज तीन वर्षों में अपना चुनावी बदला पूरा कर लिया.