डॉ. वैभव बेमेतरिहा की रिपोर्ट. कोरबा… संरक्षित पहाड़ी कोरवा, कुछ हद तक बैगा और गोंड जनजातियों का समृद्ध क्षेत्र है. नदी, पहाड़, सघन वनों से घिरा हुआ है. कोयले की अपार भंडार से भरा हुआ है. एनटीपीसी, बालको जैसे बड़े पॉवर प्लांट से यह देश भर में उर्जा नगरी के रूप में प्रसिद्ध है. कोरबा क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा कोल खदान है, तो खदानों के ऊपर ही बसा सबसे बड़ा भू-भाग वाला नगरीय क्षेत्र चिरमिरी भी. कोरबा लोकसभा क्षेत्र का फैलाव उत्तर से पूर्व और मध्य छत्तीसगढ़ तक है. कोरबा आदिम संस्कृति के साथ-साथ कई संस्कृतियों का संगम क्षेत्र भी बन चुका है. यह क्षेत्र धार्मिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक भी. चैतुरगढ़ का किला और पाली का प्राचीन शिव मंदिर कई शताब्दियों पूर्व के साक्ष्यों की गवाही देता है. पर्यटन का बड़ा केंद्र गोल्डन आइलैंड, बुका, देवपहरी, सतरेंगा के संग बांगो बांध है. मड़वा रानी का मंदिर, राम वनगमन के रास्ते कई तीर्थ धाम हैं. बुनकरों का क्षेत्र, सिल्क कोसा विशेष, हाथकरघा का काम, दुनिया भर में नाम …इन सबके के बीच कोरबा की राजनीतिक भी है पहचान. 

कोरबा की सियासत में कांग्रेस का वर्चस्व अधिक रहा है. लेकिन इस क्षेत्र में अब भाजपा का दखल अधिक है. यह क्षेत्र समय के साथ भाजपा का भी गढ़ बना है. लेकिन इसी क्षेत्र में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी असर रहा है, अभी भी है और मजबूती के संग है. 

चुनावी इतिहास

2009 से पहले तक जांजगीर अनारक्षित और सारंगगढ़ अनुसूचित जाति आरक्षित लोकसभा सीट थी. 2008 में परिसीमन के बाद सारंगगढ़ सीट को समाप्त करते हुए कोरबा को नया लोकसभा क्षेत्र बनाया गया. आरक्षित सीट सारगंगढ़ के समाप्त होने के बाद जांजगीर अनारक्षित से एससी आरक्षित सीट बन गई, वहीं कोरबा अनारक्षित लोकसभा सीट बनी. 

2009 का चुनाव

2009 से लेकर 2019 तक तीन चुनाव कोरबा सीट पर हो चुके हैं. इस सीट पर 2009 में पहली जीत कांग्रेस ने हासिल की थी. कांग्रेस के दिग्गज नेता और सक्ति जिला निवासी डॉ. चरण दास महंत को इस सीट से चुनाव लड़ाया गया और जीत के साथ ही संसद पहुँचे. सांसद बनने के साथ ही मनमोहन सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बने थे. डॉ. महंत ने तब भाजपा में रहीं स्व. करुणा शुक्ला को हराया था. 

2009 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. महंत को 42.19 मत प्रतिशत के साथ 3 लाख 14 हजार 616 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी करुणा शुक्ला को 39.41 वोट प्रतिशत शेयर के साथ 2 लाख 93 हजार 879 मत प्राप्त हुए थे. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम को 33 हजार 962 वोट मिले थे.  इस तरह करीब 21 हजार वोटों से डॉ. महंत विजयी हुए थे. 

2014 का चुनाव

2014 में कोरबा लोकसभा में भाजपा का कमल खिल गया. केंद्रीय राज्यमंत्री रहते हुए डॉ. महंत इस सीट से चुनाव हार गए और जीत का परचम भाजपा के लिए बंसीलाल महतो ने फहराया था. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. महतो को 40.70 वोट प्रतिशत के साथ 4 लाख 39 हजार 2 वोट मिले थे, जबकि डॉ. महंत को 40.31 मत प्रतिशत के साथ 4 लाख 34 हजार 737 वोट मिले थे. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरा सिंह मरकाम ने करीब 53 हजार वोट हासिल किए थे. इस तरह डॉ. महंत सिर्फ 5 हजार के करीब मतों से चुनाव हार गए थे. 

2019 का चुनाव 

2019 के चुनाव में कांग्रेस ने शानदार वापसी की. कांग्रेस ने डॉ. महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को चुनावी मैदान में उतारा था और श्रीमती महंत ने मैदान में बाजी मार लीं थी. ज्योत्सना महंत ने भाजपा प्रत्याशी ज्योतिनंद दुबे को 26 हजार से अधिक मतों से हरा दिया था. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत को 5 लाख 23 हजार 410 वोट याने 46 फीसदी मत प्राप्त हुए थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी ज्योतिनंद को 4 लाख 97 वोट के साथ करीब 43 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के तुलेश्वर सिंह मरकाम को 37 हजार 417 वोट प्राप्त किया था. 

2024 का चुनाव

2024 के इस चुनाव में भाजपा ने एक प्रयोग किया है. भाजपा ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र से स्थानीय प्रत्याशी की जगह दुर्ग लोकसभा से सांसद रह चुकी सरोज पाण्डेय को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत पर ही भरोसा जताया है. ज्योत्सना महंत भी स्थानीय नहीं और जांजगीर लोकसभा क्षेत्र में सक्ति जिले की रहने वाली हैं. 

ज्योत्सना महंत, कांग्रेस प्रत्याशी

कांग्रेस प्रत्याशी और मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत  2019 में मोदी लहर के बीच जीतीं थी. मजबूत राजनीतक परिवार से हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास की पत्नी है. सौम्य और मिलनसार वाली छवि है. विवादों से दूर रहीं है. लेकिन उनकी कमजोरी यह भी है कि बतौर सांसद के तौर पर कोई अमिट छाप नहीं छोड़ पाईं. व्यक्तिगत तौर पर राजनीतिक अनुभव कम. 

सरोज पाण्डेय, भाजपा प्रत्याशी

दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी सरोज पाण्डेय की छवि राष्ट्रीय नेत्री के रूप में है. वर्तमान में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहीं हैं. महाराष्ट्र जैसे राज्य की प्रभारी रह चुकी हैं. पार्टी संगठन में मजबूत पकड़ रखती हैं. उन्होंने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत कर दी थीं. दुर्ग कॉलेज में छात्र संघ अध्यक्ष रहीं,  महापौर, विधायक और सांसद भी रहीं हैं. तेज-तर्रार नेता की छवि के साथ देश भर में चर्चित चेहरा है. पहचान का को लेकर संकट नहीं. उनके साथ एक चुनौती के रूप में बाहरी प्रत्याशी का आरोप और नई सीट से चुनाव है. स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना भी उनके लिए एक चुनौती रहा, क्योंकि कोरबा का क्षेत्र महंत का प्रभावशील वाला माना जाता है. 

भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ अन्य 25 और प्रत्याशी हैं चुनाव मैदान में हैं. 

  1. दूजराम बौद्ध- बसपा
  2. कमल देव- भारतीय शक्ति चेतना पार्टी
  3. प्रशांत डेनियल- सर्व आदि दल
  4. प्रियंका पटेल- आरपीआई(ए)
  5. रेखा तिवारी- छत्तीसगढ़ विकास गंगा राष्ट्रीय पार्टी
  6. श्याम सिंह मरकाम- गोंडवाना गणतंत्र पार्टी
  7. सुशील कुमार विश्वकर्मा- भारतीय जनता सेक्यूलर पार्टी
  8. अमरीका करपे- निर्दलीय
  9. कल्याण सिंह तंवर- निर्दलीय
  10. राजगुरु केवल गोस्वामी- निर्दलीय
  11. कौशल्य बाई पोर्ते- निर्दलीय
  12. जयचंद्र सोनपाकर- निर्दलीय
  13. दिलीप मिरी- निर्दलीय 
  14. निर्दोष कुमार यादव- निर्दलीय
  15. पालन सिंह- निर्दलीय
  16. पुरुषोत्तम मानिकपुरी- निर्दलीय
  17. प्रताप भानू- निर्दलीय
  18. महेन्द्र कुमार श्रीवास- निर्दलीय
  19. रमेश दास महंत- निर्दलीय
  20. राजेश पाण्डेय- निर्दलीय
  21. शांति बाई मरावी- निर्दलीय
  22. शिवपूजन सिंह- निर्दलीय
  23. शेख रजक- निर्दलीय
  24. शोबरन सिंह सैमा- निर्दलीय
  25. संतोष वर्मा- निर्दलीय

 गोंगपा की भूमिका

कोरबा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती गोंडवाना गणतंत्र पार्टी रही है. गोंगपा का यह मजबूत गढ़ माना जाता है. लोकसभा की 8 विधानसभा सीटों में से पाली-तानाखार की सीट गोंगपा का मजबूत इलाका है. इसके साथ ही मरवाही, मनेन्द्रगढ़ और भरतपुर-सोनहत में गोंगपा असरकारी है. बीते तीन चुनावों का अगर रिकॉर्ड यह बताता है कि गोंगपा भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर की पार्टी रही है. गोंगपा ने इस बार श्याम सिंह मरकाम को उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि गोंगपा से लोकसभा क्षेत्र के पाली-तानाखार से गोंगपा का विधायक भी है. पार्टी के संस्थापक स्व. हीरा सिंह मरकाम के बेटे तुलेश्वर सिंह विधायक हैं, जो कि पार्टी के मुखिया हैं. 

क्षेत्रीय और भौगोलिक समीकरण

कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कोरबा, पेंड्रा-गौरेला-मरवाही, कोरिया और मनेद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला शामिल हैं. कुल 8 विधानसभा सीटें लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं. कोरबा, कटघोरा, मनेन्द्रगढ़, बैंकुठपुर अनारक्षित विधानसभा हैं, जबकि रामपुर, पाली-तानाखार, भरतपुर और मरवाही विधानसभा एसटी आरक्षित हैं. इन 8 विधानसभा क्षेत्रों में रामपुर में कांग्रेस और पाली-तानाखार में गोंगपा काबिज है, जबकि शेष 6 में भाजपा है. 

मुद्दे

कोरबा लोकसभा में सबसे बड़ा मुद्दा बेहताशा कोल खदानों का. इसके साथ ही हसदेव अरण्य और लेमरू हाथी रिजर्व क्षेत्र का मुद्दा. खदानों से विस्थापित लोगों का समूचित विस्थापन का है. भू-अधिग्रहित पीड़ितों के पुनर्वास का भी मुद्दा बड़ा है. राखड़ डैम, खेती और सिंचाई का मुद्दा भी बड़ा है. उर्जा नगरी होने के बाद कई क्षेत्रों में बिजली की समस्या भी एक मुद्दा है. कारखानों के बाद भी पलायन और बेरोजगारी का मुद्दा है. रेल्वे को भरपूर राजस्व देने के बाद भी सुविधाओं के लिए तरस रहा है कोरबा. अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य का मुद्दा भी कोरबा में बड़ा है. 

कुल मतादाता- 1609993
पुरुष मतदाता- 800063
महिला मतदाता- 809877
तृतीय लिंग- 53

जानकारों का मत

जानकारों के मुताबिक कोरबा लोकसभा में मुकाबला दिलचस्प है. कोरबा में स्थानीय प्रमुख मुद्दों से कहीं ज्यादा चर्चा हिंदुत्व और राम का भी है. शहरी क्षेत्रों में इस मुद्दे का प्रभाव होना माना जा रहा है. स्थानीय और बाहरी का मुद्दा भी उठा है, लेकिन उसका व्यापक असर नहीं है. लोगों के बीच नेता के तौर पर सरोज और ज्योत्सना के बीच तुलना भी हो रही है. लेकिन समूचे क्षेत्र में मोदी मैजिक की भी चर्चा है. इन सबके बीच डॉ. महंत की अपनी पैठ और रणनीति ही कांग्रेस की मजबूती है, जिसके सहारे ही ज्योत्सना महंत हैं. सरोज पाण्डेय अपनी बेबाक और तेज-तर्रा छवि को लेकर भी चर्चा हैं. लेकिन बसपा और गोंगपा का वोट भी असरकारी है इससे इंकार नहीं किया जा सकता.

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