रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की रेडियोवार्ता ‘लोकवाणी‘ की आठवीं कड़ी में सूरजपुर जिले की तीन महिलाओं ने रोजगार और स्वावलंबन की राह में उनके समूह को मिली सफलता की दास्ता सुनाई. सूरजपुर जिले के ग्राम कुरूवा की गायत्री ने बताया कि 9 नवम्बर को सिलफिली में हमारे जिले के सभी 6 विकासखण्डों की ट्रायबल मार्ट दुकानों का उद्घाटन किया गया था. इससे 1481 परिवारों को रोजगार मिला. अभी तक हम लोगों ने एक करोड़ रूपए का सामान छात्रावासों और खुले बाजारों में बेच लिया हैै. हम सभी महिला स्व-सहायता समूह के लोग बहुत खुश हैं. गायत्री ने मुख्यमंत्री बघेल को उनके समूह द्वारा संचालित दुकान देखने के लिए आमंत्रित किया.

सूरजपुर जिले के ग्राम समाजवार की खुशबू ने बताया कि उनका ट्राइबल मार्ट का समूह है जिसमें मैं अध्यक्ष हूँ. मैं जिस समाजवार गांव में रहती हूं, वहां महिलाएं चहार-दीवारी के अंदर रहती हैं. चूल्हा-चौका, पति की सेवा, बाल-बच्चों की सेवा करने को ही पसंद किया जाता है. जो काम पुरूष करते हैं, उन कामों में महिलाओं को किसी भी स्थिति में नहीं लाया जाता है. आर्थिक तंगी के बीच जीवन गुजर बसर हो रहा था. हमारे गांव में गौठान का निर्माण किया गया है. इसमें महिलाओं के समूह को गौठान में छत्तीसगढ़ सरकार से आगे आने के लिए हर संभव मदद दी गई है. महिलाएं पोल, पंचिग तार तथा अन्य कार्य निर्माण कर रही हैं. मशीन पाकर बड़े-बड़े यूनिट कार्य अपने हाथों से कर रही हैं. सभी ग्रामवासी कहते थे पुरूषों के काम को महिलाएं कैसे करेंगी, लेकिन हम लोग हिम्मत नहीं हारी. हमने काम शुरू कर 15 दिन में ही सामान बनाकर बेचा. इसमें हमें मुनाफा भी अच्छा मिला. आज एक वर्ष हो गया है. हम अब तक 81 लाख 68 हजार 971 रूपए की बिक्री कर चुके हैं.

सूरजपुर जिले की ही लालमणी राजवाड़े ने कहा कि मैं पहले अपने घर के अंदर तक ही सीमित थी. खाना बनाती थी और घर की देखभाल करती थी. परंतु जब से मैं बिहान योजना से जुड़ी हूं और अपने ग्राम की 186 महिलाओं को मिलाकर ग्राम संगठन का निर्माण किया है तब से हम सभी सदस्यों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला. हमारे ग्राम में एसईसीएल की खुली खदान में पानी भरने से भी झील का निर्माण हुआ. इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित किया गया. हमारे समूह को दो नग बोट मिले. हम लाइफ गार्ड का काम करती है, जिससे हमें आर्थिक लाभ होता है. हम लोग 14 अक्टूबर 2019 से आज तक हम लोगों को मोटर बोट से भ्रमण कराने का काम कर रही हैं. अभी तक 8 लाख 15 हजार 426 रूपए तक की आमदनी हुई है. आज हम इसके माध्यम से अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर पा रहे हैं.