भगवान धनवंतरी भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हें देवों का चिकित्सा और आयुर्वेदिक चिकित्सा का देवता भी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर समुद्र से निकले थे, इसलिए इस दिन को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाने लगा. भगवान विष्णु के इस अवतार के दक्षिण भारत मेें अनेक प्राचीन मंदिर है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह इकलौता है. Also Read – फूंक मारने से पता चलेगा ब्रेस्ट और मुंह का कैंसर, आसानी से होगा मरीजों का इलाज …

अपने दवा को करते हैं सिद्ध

मान्यता है कि धनतेरस पर गंभीर बीमारी की दवाइयां भगवान धनवंतरी के सामने रखकर उन्हें सिद्ध करते हैं. इनमें एलोपैथी डॉक्टर भी शामिल रहते हैं. इससे असाध्य रोगों में फायदा मिला है. 182 साल पुराने इस मंदिर में अच्छे स्वास्थ्य की कामना लेकर देशभर से भक्त पहुंचते हैं. धनतेरस पर आयुर्वेदिक सहित सभी पैथी के डॉक्टर दवाइयां मंदिर में लाकर उन्हें सिद्ध कराते हैं. Also Read – Kitchen Tips : बिना भिगोए भी बन सकते हैं छोले, Follow करें ये टिप्स …

धनतेरस पर सुबह साढ़े 9 बजे धनवंतरी की प्रतिमा का जड़ी-बूटी से अभिषेक और पूजन किया जाएगा. देश के 9 प्रमुख धनवंतरी मंदिरों में इंदौर का भी नाम है. इसके अतिरिक्त 9 अन्य प्रमुख मंदिर दक्षिण भारत में हैं. मंदिर में करीब तीन फीट की भगवान धनवंतरी की प्रतिमा है. इसके लिए खासतौर से जयपुर से पत्थर बुलाया गया था.