बालोद. हर साल दशहरा के दिन जब पूरे देशभर में रावण का पुतला फूंका जाता है तो वहीं बालोद जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम तार्री में अनोखा दृश्य देखने को मिलता है. यहां रोड के एक तरफ रावण की मूर्ति बनाई गई है तो दूसरी तरफ राम भगवान का मंदिर भी है. यहां लोग रावण को अत्यधिक ज्ञानी पंडित मानकर पूजा करते हैं तो राम भगवान को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानकर उनकी पूजा की जाती है. गांव के बुजुर्गों द्वारा बनाई गई ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है. इस परंपरा को ग्रामीण आज भी निर्वहन कर रहे हैं.

यह देखने में तो जरूर अजीब लगता है, लेकिन बालोद जिले के गुरुर ब्लाक के ग्राम तार्री में पिछले कई सालों से रावण की मूर्ति की पूजा की जाती है. यहां के ग्रामीण बताते हैं कि उनके पूर्वजों के समय के पहले मिट्टी के रावण बनाकर उसकी पूजा की जाती थी. बाद में फिर धीरे से सीमेंट की स्थाई प्रतिमा बनाई गई और अब गांव वाले रावण की पूजा करते हैं.

इस वजह से होती है भगवान राम और रावण की पूजा
ग्रामीणों का मानना है कि रावण सबसे ज्यादा ज्ञानी पंडित था, जो सभी कलाओं में निपुण था. रावण जितना ज्ञानी कोई नहीं हो पाया. इस वजह से उनके पूर्वज से लेकर अब तक रावण की पूजा की जाती है तो वहीं रोड के दूसरी तरफ भगवान राम का भी मंदिर बनाया गया है.लोगों का कहना है कि रावण ज्ञानी तो था ही, लेकिन बुराई पर अच्छाई की जीत भी हुई है. जहां भगवान राम एक आदर्श माने जाते हैं और ऐसे में राम की भी पूजा की जानी थी. जिस वजह से ग्रामीणों ने फिर बाद में राम भगवान की मंदिर का निर्माण कराया. इस गांव में लोग बच्चों को रावण की ज्ञान की कहानी भी सुनाते हैं. वहीं रामलीला का मंचन कर रावण दहन भी किया जाता है, जिससे ग्रामीण बुराई पर अच्छाई की जीत मानते हैं.

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