लखनऊ. कम राजस्व वसूली ने पावर कॉर्पोरेशन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हर महीने जितने की बिजली खरीदी जा रही है उतनी भी राजस्व वसूली नहीं हो पा रही है. ऐसे में बिजली खरीद का भी संकट खड़ा हो गया है. राजस्व वसूली बढ़ाने के लिए पूरे प्रदेश में 1 से 10 अक्तूबर तक प्रत्येक उपकेंद्र पर राजस्व संग्रह अभियान चलाया जाएगा. 

ग्रामीण क्षेत्र के उपकेंद्रों के लिए एक करोड़ तथा शहरी उपकेंद्रों के लिए दो करोड़ रुपए राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया गया है. पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने इसके आदेश जारी करते हुए अभियान में रुचि न लेने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी है. दरअसल, हर महीने राज्य और केंद्र के सार्वजनिक क्षेत्र के बिजलीघरों तथा निजी उत्पादकों से 4,500-5,000 करोड़ रुपए की बिजली खरीदी जाती है जबकि राजस्व औसतन 3,500-4,500 करोड़ रुपए ही वसूल हो पा रहा है. परिचालन एवं अनुरक्षण (ओएंडएम) तथा कर्मचारियों के वेतन आदि के भुगतान को मिलाकर हर महीने आमदनी और खर्च में 1,500-2,000 करोड़ रुपए का अंतर है. 

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बता दें कि पहले उत्पादकों का भुगतान रोककर अन्य मदों का खर्च राजस्व से पूरा किया जाता था, लेकिन अब समय पर भुगतान की अनिवार्यता से वित्तीय संकट खड़ा हो रहा है. हालांकि जुलाई से फील्ड के अधिकारियों-कर्मचारियों पर हर महीने कम से कम 5,000 करोड़ रुपए राजस्व वसूली का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन अभी हालात जस के तस ही हैं.