अंबिकापुर. सरगुजा के जिला मुख्यालय से कोई 15 किलोमीटर तीन-चार एक दूसरे से सटे छोटे-छोटे गांव हैं. उदारी, बकना और कुम्दी. ये गांव पूरे इलाके में टमाटर की पैदावार के लिए मशहूर है. गांव में इस सीज़न में करीब आधा दर्जन किसान हैं जिन्होंने 20 लाख से ज़्यादा का टमाटर बेचा है जबकि तीन किसानों ने 50 लाख के आंकड़े को छू लिया है. टमाटर गांव के किसानों के लिए खुशहाली का संदेश लेकर आया है. ये सिलसिला करीब 10 सालों से चल रहा है. इन गांवों में अमूमन हर किसान टमाटर की फसल लगाता है. आज इन गांवों में करीब 400 एकड़ में टमाटर की पैदावार ली जा रही है. टमाटर की फसल में भारी मुनाफे की तरीका गांव के किसानों ने खोज निकाला है. इस साल फसल थोड़ी खराब हो गयी वरना कमाई का आंकड़ा करोड़ो में पहुंच जाता.

यहां करीब आधा दर्जन किसान हैं जो 5 एकड़ से ज़्यादा जगह पर टमाटर की फसल ले रहे हैं. ये सभी खेती के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ड्रिप एरिगेशन, लिक्विड फर्टिलाइज़र, पेस्टीसाइट का इस्तेमाल नुकसान की आशंका का कम कर देता है. पिछले साल सभी बड़े किसानों को फसल में नुकसान हुआ था लेकिन इसके बाद भी इन्होंने टमाटर लगाना बंद नहीं किया. ये लोग टमाटर के साथ खीरा, मक्का, तरबूज जैसे उत्पाद ले रहे हैं.

इस साल सबसे ज़्यादा 7 एकड़ में अशफाक ने टमाटर लगाए हैं. वे करीब साढ़े सात हज़ार ट्रे टमाटर इस सीज़न में बेचेंगे. 25 किलो टमाटर की एक ट्रे 1100 रुपये तक इस साल बिकी है. अनुमान के मुताबिक 700 रुपये प्रति ट्रे टमाटर इस बार बिका है. जबकि हरसाय नाम के किसान ने 5 एकड़ में कमाई की है. इसी तरह युनुस ने 4 एकड़ से करीब 20 लाख रुपये का टमाटर बेचा है. जिसमें से लागत घटाकर करीब 14 से 15 लाख रुपये मुनाफा हुआ है. टमाटर की खेती में प्रति एकड़ लाख से सवा लाख रुपये का खर्च आता है. अशफाक ने 12 वीं तक मैथ्स की पढ़ाई करने के बाद आईटीआई में प्रवेश लिया. लेकिन कई जगहों की नौकरी की पेशकश ठुकराते हुए उन्होने खेती करने का फैसला लिया. उनका ये फैसला सही साबित हो रहा है. जितना पैसा उन्हें वेतन से मिलता उससे कई गुना वे टमाटर में कमा रहे हैं.

शाहिद ने सात एकड़ में टमाटर लगाए. पिछले साल के मुकाबले पैदावार कम था लेकिन रेट बढ़िया मिला. इस साल उनकी कमाई का आंकड़ा 50 लाख रुपये तक पहुंचने वाला है. शाहिद ने 12 वीं तक पढ़ाई बायोलॉजी से की है.

गांव में ये खुशहाली एक शिक्षक हरसाय लेकर आया. साल 2007 में उसने ड्रिप एरिगेशन, हाइब्रिड बीज और पेस्टीसाइट के इस्तेमाल से अपनी खेतों में टमाटर की बंपर पैदावार की और लाखों रुपये कमाए. हरसाय की देखादेखी कुछ और किसानों ने यही तरीका अपनाया और उन्होंने भी टमाटर की फसल में खूब कमाया. हरसाय का कहना है कि उसे एक बीज कंपनी के अधिकारी ने टमाटर की खेती के लिए प्रेरित किया. इसके बाद उसने जब इसे लगाया तो बंपर पैदावार हुई. साल दर साल ये सिलसिला चलता गया. उनकी देखादेखी अशफाक, विनोद, अर्जुन, युनुस और शाहिद सिर्फ टमाटर ही नहीं बल्कि खीरा और लौकी जैसी फसलों की बंपर पैदावार ले रहे हैं. पहले इस गांव के किसान गन्ना और की फसल लेते थे. लेकिन अब ये सभी गांव तेज़ी से बदल रहे हैं.