लुधियाना. पंजाब की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले लुधियाना में सरकारी चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति चिंताजनक बनीं हुई है। शहर का सिविल अस्पताल अब केवल एक रेफरल सेंटर बनकर रह गया है, जहां गंभीर मरीजों को इलाज से इनकार कर उच्च चिकित्सा सुविधाओं वाले अस्पतालों में भेज दिया जाता है।
गुरुवार को लुधियाना के एक घर में बारूद के कारण आग लगने से हुए विस्फोट में 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इन घायलों को सिविल अस्पताल लाया गया, लेकिन वहां 30% तक जलने वाले मरीजों के लिए उपचार की सुविधा न होने के कारण 6 मरीजों को पटियाला के राजिंद्रा सरकारी मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ा। सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एसएमओ) डॉ. अखिल सरीन ने दावा किया कि दीवाली से एक दिन पहले तक सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जलने वाले मरीजों के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं है। वहीं, एसडीएम (पूर्वी) जसलीन कौर भुल्लर ने भी माना कि सिविल अस्पताल में 30% तक जलने वाले मरीजों को रखने की क्षमता नहीं है, क्योंकि ऐसे मरीजों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती हैं।

बर्न यूनिट बंद, ट्रॉमा सेंटर अपंग !
सिविल अस्पताल की बर्न यूनिट को बंद कर दिया गया है, और ट्रॉमा सेंटर में केवल पट्टी करने की सुविधा बची है। अस्पताल की आपातकालीन वार्ड की पहली मंजिल पर 30 बिस्तरों वाली बर्न यूनिट स्थापित की गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह अब बंद है। इसके अलावा, अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान बनाए गए नए आपातकालीन कक्ष को ट्रॉमा सेंटर के रूप में विकसित किया गया था। उस समय इस कक्ष में ऑर्थोपेडिस्ट सहित विशेषज्ञों की तैनाती की योजना थी, लेकिन अब यहाँ कोई विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं हैं।
गंभीर मरीजों को रेफर करने की मजबूरी
लुधियाना में रोजाना होने वाले हादसों में गंभीर रूप से घायल लोग सिविल अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें अक्सर चंडीगढ़ या पटियाला रेफर कर दिया जाता है। गुरुवार को हुए हादसे में भी 10 में से 6 मरीजों को पटियाला भेजना पड़ा, क्योंकि सिविल अस्पताल में 30% से अधिक जलने वाले मरीजों के इलाज की क्षमता नहीं है। अगर बर्न यूनिट चालू होती, तो मरीजों को रेफर करने की नौबत नहीं आती।
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